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मुंबई में ट्रेन स्टेशन से नहीं चलती, मस्जिद से चलती है – रजत शर्मा
मुंबई में ट्रेन स्टेशन से नहीं चलती, मस्जिद से चलती है – रजत शर्मा
मुंबई में ट्रेन स्टेशन से नहीं चलती, मस्जिद से चलती है. ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं. ट्विटर वाले एक महान चैनलिया ने ऐसा फरमाया है. उनकी जिज्ञासा है कि लोगों को भागना था तो मस्जिद में क्यों इकट्ठा हुए? जवाब में कुछ लोगों ने कहा कि भाई, स्टेशन के पास मस्जिद है तो इसमें मजदूर क्या करें?
इस बेचारे पत्रकार को जिंदगी खर्च करके यह पता नहीं चल पाया कि इस देश में 14 करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर हैं जो देशभर के शहरों में रहते हैं. दिल्ली में सरकार की छाती पर से ही चलकर लाखों मजदूर अपने घर भागे, तब भी इनको पता नहीं चल पाया कि वे क्यों भाग रहे हैं? पत्रकार की चिंता है कि भाग रहे हैं तो उनके हाथ में अटैची/ सूटकेस/ बैग वगैरह क्यों नहीं है?
अफसोस है कि यह मामला ठीक से हिंदू मुस्लिम में नहीं बदल पाया. इन पत्रकार महोदय का कई दशक का करियर है, सत्ता के करीबी हैं और एलियन को कपिला गाय का दूध पिलाने के लिए इनको पद्म पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.
जनता भूख भूख चिल्ला रही है, सत्ता हिंदू मुस्लिम प्रमोट कर रही है. जनता से सत्ता का कोई कनेक्ट नहीं रह गया है. दिल्ली से लेकर मुंबई तक लोग सड़कों पर आ रहे हैं, भाग रहे हैं. उनकी समस्या है खाएं क्या? सत्ता की समस्या है कि हर नाकामी से बचने के लिए किसी तरह साबित कर दिया जाए कि भारत में मुसलमान न होते तो कोरोना न फैलता.
मौतों की संख्या रोज बढ़ रही है, भूख से होने वाली समस्याएं रोज बढ़ रही है और देश में हिंदू-मुस्लिम का कार्ड खेला जा रहा है. पहले जमात के नाम पर तमाशा हुआ, अब देश में फेरी वालों और ठेला वालों को निशाना बनाया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक आदमी ने याचिका लगाई कि तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम से वापस लौटने वाले व्यक्तियों का पता लगाया जाए. कोर्ट ने सरकार को आदेश भी दे दिया. महान याचिकाकर्ता ने जमात से लौटे संदिग्ध 159 लोगों की सूची बीबीसी को मुहैया कराई. बीबीसी के आलोक पुतुल ने लिखा है, ‘याचिकाकर्ता की, कथित रूप से निज़ामुद्दीन के तब्लीग़ी जमात मरकज़ से छत्तीसगढ़ लौटे जिन 159 लोगों की सूची के आधार पर अदालत ने यह आदेश जारी किया है, उसमें 108 ग़ैर-मुस्लिम हैं.’
इस सूची में शामिल एक पांड़े जी ने कहा, “मैं ब्राह्रण आदमी हूं. मेरा भला तब्लीग़ी जमात के लोगों से क्या लेना-देना?” अब आप सोचिए कि इस देश में चल क्या रहा है? हिंदूवाद का ऐसा भूत सवार हुआ है कि कोरोना के साथ साथ पांड़े जी को भी मुसलमान घोषित कर दे रहे हैं. यह देश पागलपन के कई पड़ाव पार कर चुका है. अब शिखर छूना बाकी है.
-Krishna Kant
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