राष्ट्रिय
निर्दोष मुसलमानों से नफरत तुम्हे ले डूबेगी, खुद को समाज को और देश को बचा लीजिये -हिमांशु
SD24 News Network
निर्दोष मुसलमानों से नफरत तुम्हे ले डूबेगी, खुद को समाज को और देश को बचा लीजिये
अब वक्त आ गया है भारतीय समाज अस्तित्व के बारे में गंभीर होकर सोचना चाहिए
अब वक्त आ गया है कि भारतीय समाज को अपने अस्तित्व के बारे में गंभीर होकर सोचना चाहिए । जहां एक तरफ अमेरिका में सदियों के रंगभेद को छोड़ते हुए गोरे लोग’ काले नागरिकों के बराबरी के हक के लिए सड़कों पर सरकार से लड़ रहे हैं । वहीं भारत में सरकार द्वारा मुसलमानों को सताए जाने पर बहुसंख्य हिन्दू समाज खुश हो रहा है । गर्भवती छात्र सफूरा जो पूरी तरह निर्दोष है वह जेलखाने में है और अदालत ने उसकी जमानत खारिज कर दी है । जबकि हम गर्भ में मौजूद लडकी की हत्या कर’ गर्भवती हाथी की चिंता करते हैं।
दिल्ली में दंगे सरकारी देखरेख में’ युपी से गुंडे बुलवा कर करवाए गये । पुलिस ने इन गुंडों की मदद करी । सीएए विरोधी प्रदर्शनों पर और मुसलमानों की बस्तियों पर पथराव करने के लिए पुलिस की देखरेख में पत्थरों की ट्रालियां मंगवाई गई । जामिया विश्वविद्यालय में पुलिस ने घुस कर कैमरे तोड़े सारे वीडिओ वायरल हुए इसके बाद दंगाइयों को बचाया गया और पीड़ित मुसलमानों तथा विरोध करने वाले छात्रों को जेलों में डाल दिया गया ।
किसी भी देश में ऐसा जुल्म करने पर देश के नागरिकों को सरकार का विरोध करना चाहिए था । तब कोई भी सरकार आगे से कभी ऐसा ना करती । लेकिन भारत में उल्टा होता है । आप एक समुदाय को परेशान कीजिये तो दूसरा समुदाय खुश होता है और उस सरकार को ज्यादा पसंद करने लगता है । यह हमारी पुरानी दिमागी बीमारी है । मुसलमानों के आने से पहले हम जातियों में बंटे हुए थे । हर जाति के अलग मोहल्ले आपस में ना शादी ब्याह होता था’ ना आपस में खान पान था ।
आपस में उतनी ही नफरत थी’ जितनी आज मुसलमानों से है । वह नफरत ही हमारी संस्कृति हमारा धर्म और हमारा वजूद बन गया है । अब हम जात वाली नफरत तो करते ही हैं अलग धार्मिक विश्वास वालों से भी नफरत करते हैं । हम ईसाईयों सिखों मुसलमानों सब से नफरत करते हैं । इसका नुकसान हमें ही सबसे ज्यादा हो रहा है, हमने एक ऐसी सरकार को चुना है जो नफरत की बातें करती रही हैं । जिसका एक मात्र गुण दंगा करना और मुसलमानों को परेशान करना रहा है।
हमने उसी गुण से खुश होकर उसे चुना’ क्योंकि नफरत हमारे वजूद में शामिल हो गया है। उस सरकार ने हमारा व्यापार धंधा चौपट कर दिया । हमारे नौजवानों की शिक्षा महंगी कर दी और उसे व्यापारियों के हाथों में दे दी ।इस सरकार ने उद्योग बंद किये बेरोजगारी बढ़ाई लेकिन हम सरकार का समर्थन करते रहे । हमने सरकार का विरोध करने वाले को अपना दुश्मन कहा । हमने सोचा जो सरकार की आलोचना करता है वह दरअसल मुसलमानों की तरफ है । हमारे दिमाग़ में मुसलमानों से नफरत इतनी ज्यादा बढ़ा दी गई कि हम खुद को बर्बाद करने की कीमत पर मुसलमानों का नुकसान करने के लिए तैयार हो गये हैं ।
क्या नफरत में इतना डूबा हुआ और ऐसा बंटा हुआ समाज लम्बे समय तक एक रह सकता है ? क्या हम एक और विभाजन की तरफ नहीं बढ़ रहे हैं ? कोई भी देश तभी एक रह सकता है जब नागरिकों के बीच में कोई युद्ध व नफरत ना हो । यहाँ तो सरकार ने जैसे नागरिकों के खिलाफ ही युद्ध छेड़ा हुआ है । नागरिकों का एक तबका दुसरे तबके के पीटे जाने का समर्थन कर रहा है । तो होगा यह कि एक तरफ तो आपके नौजवान बेरोजगार हो जायेंगे । व्यापार नष्ट हो जाएगा अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जायेगी ।
दूसरी तरफ वे नौजवान साम्प्रदायिक नफरत के जहर से भरे हुए होंगे । फिर देश में जो आग लगेगी उसमें आपकी आर्थिक प्रगति, लोकतंत्र, महिलाओं के अधिकार, मजदूरों के अधिकार, मानव अधिकार सब खत्म हो जाएंगे । जब लोकतंत्र ही नहीं रहेगा तो आपकी बेटी, आपका बेटा आपकी नौकरी, आपकी सुरक्षा, आपका घर, आपकी रोटी सबकुछ छीन लिया जाएगा । और आप की तकलीफ सुनने के लिए ना सरकार होगी, ना अदालत क्योंकि यह सब तो लोकतंत्र में ही काम कर सकते हैं । मुझे जम कर गालियाँ दीजिये या विनोद दुआ की तरह मेरे ऊपर भी एफआईआर दर्ज कर दीजिये ।
लेकिन खुद को समाज को और देश को बचा लीजिये । नफरत को दिल से निकाल दीजिये, आपकी यह नफरत मुसलमानों को कम आप ही को ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी । यह नफरत हिन्दुओं को सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक तौर पर बर्बाद कर देगी और जो नफरत करता है वह खुद ब खुद बर्बाद हो जाता है ।
-लेखक Himanshu Kumar के निजी विचार