राष्ट्रिय
संपन्न लोग खा रहे गरीबों का अनाज, निराधार रतन और जातन भुखमरी की कगार पर
SD24 News Network
जिलाधिकारी महोदय
कुशीनगर : ग्राम चखनीखास तहसील तमकुही राज के जतन उम्र90 रतन उम्र 70 बर्ष जो नि: संतान, बृ्द्ध,निराश्रित है और अन्त्योदय कार्डधारक है ..गत दिनो ग्राम प्रधान के चाचा के घर से इन लोगों के घर मार पीट हुआ दोनों की प्रथमिकी थाना तरयासुजान मे दर्ज भी है । अब इनके पट्टीदारों से हुये झगड़े मे गत दो माह से कोटेदार द्वारा गल्ला रोकवा दिया गया है । सोशल मीडिया पर समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होने के बाद भी प्रशासन चौकन्ना नही हुआ आज कोरोना के इस महामारी मे भी इन लोगों को खाद्यान न मिलना एक गम्भीर बात है । पूर्तिनिरिक्षक तमकुहीराज अपने प्रतिनिधियों को भेज कर इनके फोटों बगैरह तो खीचवा लिया ताकी आपको कहानी बनाकर जबाब तैयार रखा जाय। गत दो माह से इनका गल्ला रोक देने की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए या नही ..?
मामला को कोटेदार के पक्ष मे करने के लिए पूर्तिनिरिक्षक ने मौखिक आदेश दिया है कि कोटेदार के घर जाकर गल्ला लेले ..कोटेदार यहा से पाचँ किमी दुर के गावँ का है दुसरे ये बृद्ध एवं बिकलागं भी है । आज इस लाकडाउन मे इतने बुजुर्ग लोग कैसे कोटेदार के घर जाएगें । और गल्ला लाएगें इस प्रकार पूर्तिनिरिक्षक का यह अमानवीय कृत क्या उचित है । दुसरीबात क्या पूर्तिनिरिक्षक को खाद्यान्न न दिये जाने के लिए कोटेदार को दण्डित नही करना चाहिए ..? पूर्तिनिरिक्षक निराश्रितों ,नि: संतानों ,बृध्दो के प्रति जबाब देही है या कोटेदार के प्रति..? इसकी जानकी आपके नं पर भी भेजी गयी है डी एस ओ को भी भेजी गयी है ..तमकुहीराज एस डी एम का सरकरी फोन कभी नही उठता ।अब ये नि: संतान कहा जाय?
सवाल यह नही कि केवल इन नि: संतानों को गल्ला नही दिया गया सवाल बहुत है कितनों के अंगुठा लगवाकर गल्ला नही दिया गया । सवाल यह है कि इन स्थानीय जिम्मेदारों को कोरोना महामारी मे भी मानवीयता यदि नही आई तो कब आयेगा । मामला दो आदमी के भुखमरी का है है और प्रसासनिक कार्य तो कोटेदार के बचाव मे है ..यदि इनकी मौत भुखमरी से होती है तो इसकी जिम्मेदारी किस पर तय होगी ,कोटेदार पर ,पूर्तिनिरिक्षक पर या उपजिलाधिकारी पर । मामला बहुत छोटा है पर अमानवीयता का इससे बड़ा जनपद मे कोई उदाहरण भी रही है ।
——वरिष्ठ पत्रकार गोबिंद मिश्रा