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एक बैंक लूटना हो, तो एक बंदूक चाहिए
पूरी दुनिया लूटनी हो तो एक बैंक काफी है
सद्दाम हुसैन और गद्दाफी इन दोनों व्यकियों में एक जैसी बात क्या थी ? दुनिया को अमेरिकन डॉलर के बदले तेल देने से मना किया और इनके सेंट्रेल बैंक में कब्ज़ा Rothschild परिवार का नहीं था ।
सद्दाम_हुसैन को सरेआम फांसी और गद्दाफी को गोली पर आजतक परमाणु हथियारो का आरोप साबित नही हो सका…यह समानता जिन देशों में है, वहां के प्रधानों या शासकों में रही उन्हें षड्यंत्रपूर्वक बर्बाद किया जा रहा है।
अब बारी ईरान, नार्थ कोरिया, सीरिया की है क्योंकि यहाँ के बैंक, मुद्रा, तेल पर Rothschild, रॉकफेलर आदि पूंजीवादी समूह का कब्जा नही है जो पूरी दुनिया मे एक विश्व के सभी देशों को आर्थिक गुलाम बनाकर एक विश्व सरकार बनाना चाहते है।
Johnson K. Kurien ग़द्दाफ़ी ने कुछ और भी किया था। उसने सोना इकट्ठा किया था ताकि gold backing वाला दीनार करेंसी बने जो डॉलर का स्थान ले सके। (अमरीकी डॉलर 19790 के बाद गोल्ड बेस्ड नहीं है) वह सारा सोना अमेरिका ने लूट लिया। अमरीकी डॉलर का बेस तेल का व्यापार डॉलर में होना है। सबसे बड़ी बात यह है कि अमेरिकी डॉलर और केंद्रीय बैंक अमरीकी सरकार या जनता के नहीं हैं। यह बैंकर्स के अंतरराष्ट्रीय गैंग के है। अमरीकी राष्ट्रपति या कोई और इसका चाहकर विरोध नहीं कर सकते। फो बड़े प्रख्यात राष्ट्रपतियों की इसी कारण हत्या कर फि गई। एक अन्य राष्ट्रपति को गोली लगने के बाद इसी शर्त पर मेडिकल केअर दिया गया कि वह आगे से उस मसले से दूर रहेंगे।
पूरी दुनिया मे पूंजीवाद, मुद्रा के मायाजाल, संसाधनों की लूट और ऋण युक्त हर देश को बनाने में UN, UNESCO WHO, WB, IMF, आदि संस्थाओं और WTO, FDI, RCEP, FTA के कानूनों के द्वारा कार्य किया जा रहा ह जिससे सभी देशों में आर्थिक, राजनैतिक और पूर्ण गुलामी लायी जा रही है और दुनिया के सबसे अमीर 11 परिवार अपना कब्जा रख सके।
इससे बचने के लिए देश के लोगो को जागरूक बहुत तेजी से होना पड़ेगा और गरीब, भुखमरी, बेरोजगारी, स्वदेशी की कब्र बनाने के जिम्मेवार इन व्यवस्था के विरुद्ध लड़ना होगा।
-गोपाल टाईगर बड़ोली
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