राष्ट्रिय
एक ही दिन पुलिस-मेडिकल टीम पर 5 जगह हमले, चर्चा सिर्फ मुसलमानों वाले मुरादाबाद की
एक ही दिन पुलिस-मेडिकल टीम पर 5 जगह हमले, चर्चा सिर्फ मुसलमानों वाले मुरादाबाद की
यूपी के मुरादाबाद, बिहार के औरंगाबाद, चंपारण, नालंदा में और मेडिकल टीम पर हाल में हमले हुए हैं। इसके पहले भी कई जगहों पर पुलिस और मेडिकल टीम पर हमले हुए हैं। ऐसा करने वाले खुद अपने, खुद के परिवार और समाज के दुश्मन हैं। इसमें सभी जाति-धर्म के लोग शामिल हैं। जो लोग आपकी जान बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं, उन पर हमला करना बेहद गंभीर अपराध है। इन सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जो गलत है, वह गलत है, लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं है कि मालदा के बदले डालडा का बैलेंस बनाएं और किसी समुदाय के खिलाफ अभियान चलाएं। लोगों में तमाम भ्रांतियां और अफवाहें फैली हैं। इससे कड़ाई से निपटने की जरूरत है।
-Krishn Kant
कल औरंगाबाद में मेडिकल टीम पे हमला हुआ, कल ही चंपारन में अफसरों पर हमला हुआ, कल ही बेगुसराय में पुलिस टीम पर रोड़ेबाजी हुई, कल ही जहानाबाद में पुलिस-पब्लिक में भिड़ंत हुई कल ही मुरादाबाद में मेडिकल कर्मियों पर पथराव हुआ ? ये सिर्फ और सिर्फ कल ही की खबरें है ? मुरादाबाद में जिन लोगों ने धर्म का पता लगा लिया है, वे लोग बाकी सब जगह के धर्म का भी पता लगा लें ? मेरे लिए वे सभी लोग जो ऐसी घटना में शामिल हैं सब के सब अपराधी हैं । इन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिये मगर अपराध में धर्म ढूँढने वाले उनसे बड़े अपराधी क्यो नही ? अपराधियों के लिए कानून है, वो अपना काम करेगा ? अफवाह मत फैलाओ, साम्प्रदायिकता से दूर रहो इंसान हो इंसान बनो, नफरती भेड़िया नहीं ? किसी को गाली देने से पहले अपनी गिरेबान में जरुर झांक कर देख लो ?
-माजिद मजाज़
पूरी दुनिया मे कोरोना के असर से लोग खौफ जदा है । कयोंकि यह है ही ऐसी वबा दुनिया के सभी मुल्क अपने अवाम की हिफाजत के लिए हर तरह की कोशिस मे लगे है। जंहा पूरी दुनिया इस से निजात के रास्ते ढूँढ़ रही है वंही दुनिया का वाहिद मुल्क इस का मजहब ढूँढ़ रही है । दुनिया के साथ हो सकता है इस मुल्क से भी कोरोना का खात्मा हो जाये लेकिन हुकूमत ने अपने नाकारेपन को छुपाने के लिये जिस वायरस को लोगो के रगों मे सरायत किया है । उसका खात्मा कैसे होगा यह सवाल बहुत बडा है । भारत की बहुसंखयक अवाम समुदाय विशेष के नफरत मे आज सरकार द्वारा फैलाये नफरत को गले लगाना अपने लिये फर्ज समझने लगी है । तभी तो अपने हकूक़ माँगने के बजाय सरकार के नौटंकी में बहुसंख्यक समाज की बडी आबादी रक्स करती नज़र आरही है ।
जब से चंद तबलीगी जमात के लोगो मे कोरोना के लक्षण मिले तब से तो गजब का मंजर है यह लोग तन्हा तन्हा भांगड़ा करने मे लग गये हैं । आज इसी का नतीजा है कि लोग सब्जी और फल बेचने वालो के मजहब पूछ रहे है । इस नफरत को फैलाने का जिम्मेदार लोग भले मीडिया को माने लेकिन यह पूरा सच नही है । बल्कि लोगो के जहन मे यह जहर पहले से ही भरा हुवा था जिसको मीडिया लोगों के सामने लेकर आई है । यह सालो से आरएसएस जैसी जहरीली तन्जीम ने लोगो के जेहन मे डाली थी।
-शबरोज मोहम्मदी
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