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माँ के कदमो के निचे जन्नत होती है, इसलिए मुसलमानों के वृद्धाश्रम नहीं होते ?

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हज़रत ओवैस करनी नबी ﷺ की ज़ियारत नहीं कर सके लेकिन दिल में हसरत बहुत थी कि नबी ﷺ का दीदार कर लूं, मगर मां थीं और उनकी खिदमत आपको हुज़ूर ﷺ के दीदार से रोके हुए थी, उधर नबी ﷺ यमन की तरफ़ रुख़ करके कहा करते थे कि मुझे यमन से अपने दोस्त की खुशबू आ रही है, एक सहाबी रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा य़ां ﷺ आप उनसे इतनी मुहब्बत करते हैं, और वो हें कि आपसे मिलने भी नहीं आए? तो प्यारे आका ﷺ ने कहा कि उनकी बूढी और नाबीना माँ है, जिसकी ओवैस बहुत खिदमत करता है, और अपनी मां को वह अकेला छोड़ कर नहीं आ सकता।

प्यारे आका ﷺ ने उमर और हज़रत अली रज़ियल्लाहू से मुखातिब होते हुए कहा कि तुम्हारे दौर मे एक शख्स यहां आएगा जिसका नाम होगा ओवैस बिन आमिर कद दर्मियानी होगा, रंग होगा काला, और जिस्म पर एक सफेद दाग होगा, जब वह आए तो तुम दोनों उससे मेरी उम्मत के लिए दुआ कराना क्योंकि ओवैस ने माँ की ऐसी खिदमत की है जब भी वो दुआ के लिए हाथ उठाता है, तो अल्लाह उसकी दुआ कभी रद्द नहीं करता।
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उमर रज़ियल्लाहु अन्हु दस साल खलीफा रहे और हर साल हज करते हर साल हज़रत ओवैस करनी को तलाश करते, लेकिन उन्हें ओवैस करनी न मिलते। एक बार उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने सारे हाजियों को मैदान अराफात में इकठ्ठा कर लिया, और कहा कि सभी हाजी खड़े हो जाएं फिर कहा कि सब बैठ जाओ सिर्फ यमन वाले खड़े रहो, तो सभी बैठ गए और सिर्फ यमन वाले खड़े रहे। फिर कहा कि यमन वाले सारे बैठ जाओ सिर्फ कबीला मुराद खड़ा रहे, फिर कहा मुराद वाले सभी बैठ जाओ सिर्फ कर्न वाले खड़े हों, तो सिर्फ एक आदमी बचा हज़रत उमर अल्लाह रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि आप करनी हो तो उस शख्स ने कहा हाँ करनी हूँ,

तो हज़रत उमर ने कहा कि ओवैस करनी को जानते हो? तो उस शख्स ने कहा कि हाँ जानता हूँ वह तो मेरे सगे भाई का बेटा है, आपने पूछा कि ओवैस है किधर? तो इस शख्स ने कहा कि वह अराफात गया है ऊंट चराने, आपने हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु को साथ लिया और अराफ़ात की ओर दौड़ लगाई जब वहां पहुंचे तो देखा कि ओवैस करनी पेड़ के नीचे नमाज़ पढ़ रहे हैं, और ऊंट चारों ओर चर रहे हैं। आप दोनों बैठ गए और हज़रत ओवैस करनी की नमाज़ पूरी होने का इंतजार करने लगे, जब हज़रत ओवैस करनी ने सलाम फेरा तो हज़रत उमर रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने पूछा कौन हो भाई?
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तो हज़रत ओवैस करनी ने कहा अल्लाह का बंदा, तो उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि सारे ही अल्लाह के बन्दे हैं लेकिन तुम्हारा नाम क्या है? तो हज़रत ओवैस करनी ने कहा कि आप कौन हैं? हज़रत अली रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि ये अमीरुल मोमेनीन उमर बिन खत्ताब हैं और मैं अली बिन अबी तालिब हूं। हज़रत ओवैस का यह सुनना था कि थर थर काँपने लगे और कहा कि जी मैं माफी चाहता हूँ मैंने अपको पहचाना नहीं था मै तो पहली बार हज पर आया हूँ, उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि आप ओवैस हो? तो उन्होंने कहा हाँ मै ही ओवैस हूँ।
उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने फरमाया कि हाथ उठाइए और हमारे लिए दुआ फरमा दें, वह रोने लगे और कहा कि मैं दुआ करूं? आप लोग सरदार और मै नौकर आपका और मै आप लोगों के लिए दुआ करूं ? तो हज़रत उमर रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि हाँ हमारे आका ﷺ का हुक्म था कि ओवैस जब भी आए तो दुआ करवाना। फिर हज़रत ओवैस करनी ने दोनों के लिए दुआ की। सरकार ﷺ ने कहा कि जब लोग जन्नत में जा रहे होंगे तो हज़रत ओवैस करनी भी चलेंगे उस वक्त अल्लाह फरमायेगा बाक़ियों को जाने दो और ओवैस को रोक लो, उस वक़्त हज़रत ओवैस करनी परेशान हो जाएंगे और कहेंगे कि एे अल्लाह! मुझे दरवाजे पर क्यों रोक लिया गया
तो अल्लाह फरमायेगा कि पीछे देखो जब पीछे देखेंगे तो पीछे करोड़ों-अरबों की तादाद में जहन्नमी खड़े होंगे तो उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा! कि ओवैस तेरी एक नेकी ने मुझे बहुत खुश किया है ”माँ” की खिदमत ”तू उंगली से इशारा कर जिधर तेरी उंगली फिरती जाएगी तेरे तुफ़ैल से इनको जन्नत में दाखिल करता जाऊंगा..!
दोस्तों हमारी मेंहनत को जाया ना करें
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