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खून-खराबा: इतनी सी बात के लिए चली 70 गोलियां, बिछ गई कई लाशें

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SD24 News Network Network : Box of Knowledge
सोनभद्र के उभ्भा गांव में 112 बीघा खेत के लिए दस ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया गया। लगभग चार करोड़ रुपए की कीमत की इस जमीन के लिए प्रधान और उसके पक्ष ने ग्रामीणों पर गोली चलाते समय इतना भी नहीं सोचा कि इतनी जानें जाने के बाद क्या वह इस जमीनों को पा सकेंगे।
उम्भा गांव में लगभग छह सौ बीघा जमीन आदर्श वेलफेयर सोसायटी के नाम 1955 में की गई। इस जमीन पर आजादी से पहले से ही वहां के आदिवासी काबिज थे और खेतीबाड़ी करते चले आ रहे थे। गांव के भैया कोल बताते हैं कि इसमें से 112 बीघा जमीन ग्राम प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर और उसके परिवार वालों के नाम वर्ष 2017 अक्तूबर में उक्त सोसायटी की ओर से की गई। इसका हम गांव वालों ने विरोध किया। मामला पहले एआरओ राजकुमार के यहां चला। वहां से खारिज होने के बाद ग्रामीण डीएम सोनभद्र कोर्ट में गए। वहां से भी मामला खारिज कर दिया गया। मौजूदा समय में यहां पर एक बीघा जमीन की कीमत लगभग साढ़े तीन से चार लाख रुपए के आस-पास है। इस हिसाब से आज के समय में कुल जमीन की कीमत लगभग चार करोड़ रुपए है। भैया कोल के अनुसार बुधवार को गांव के लोग इस जमीन को लेकर कमिश्नर कोर्ट में अपील करने जा रहे थे। यह बात घोरावल कोतवाल को भी पता था। उसके बाद गांव में पहुंचे यज्ञदत्त और उनके परिवार और साथ में आए अन्य लोग खेत जोतने लगे। विरोध करने पर उन लोगों ने गोलियां चला दीं। जिसमें मौके पर ही सात लोग की मौत हो गई। बाकी तीन ने अस्पताल जाते समय दम तोड़ दिया।
पहले से ही तैयार होकर आए थे हमलावर 
उम्भा गांव में 112 बीघा खेत जोतने के लिए गांव का प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर 32 ट्रैक्टर लेकर पहुंचा था। इन ट्रैक्टरों पर लगभग 60 से 70 लोग सवार थे। यह लोग अपने साथ लाठी-डंडा, भाला-बल्लम और राइफल और बंदूक लेकर आए थे। गांव में पहुंचते ही इन लोगों ने ट्रैक्टरों से खेत जोतना शुरू कर दिया। जब ग्रामीणों ने विरोध किया तो यज्ञदत्त और उनके लोगों ने ग्रामीणों पर लाठी-डंडा, भाला-बल्लम के साथ ही राइफल और बंदूक से भी गोलियां चलानी शुरू कर दी।
किसी के पीठ तो किसी के कमर में लगी गोली
यज्ञदत्त की ओर से खेत जुतवाने का जब ग्रामीणों ने विरोध किया तब उन्हें इसका अंदाजा नहीं था कि उन लोगों को अंधाधुंध फायरिंग झेलनी पड़ेगी। शुरू में जब लाठी-डंडा और भाला-बल्लम से ग्रामीणों पर हमला हुआ तो उन लोगों ने इस जवाब भी दिया। लेकिन, जब यज्ञदत्त के पक्ष की ओर से ग्रामीणों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी गई तो ग्रामीणों में शामिल महिलाएं, पुरुष और बच्चों में भगदड़ मच गई। इसी भगदड़ के दौरान किसी के पीठ तो किसी के कमर में गोली लगी। किसी को सामने की ओर से कंधे तक में गोली लगी। यह सब घटनाक्रम मात्र 20 मिनट चला होगा। और इस 20 मिनट में वहां सात लाशें बिछ गईं। बाद में दो की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई।
पहले बसपा से जुड़ा था यज्ञदत्त
उभ्भा गांव का प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर कुछ साल पहले राजनीतिक पार्टी से जुड़ा हुआ था। गांव के भाईलाल बताते हैं कि सालों पहले वह अपनी गाड़ी में बसपा का झंडा लगाकर चलता था। हम लोगों को राजनीति से ज्यादा कुछ लेना-देना नहीं था। इसलिए उसकी ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। पिछले कुछ सालों से वह अपनी गाड़ी पर किसी भी पार्टी का झंडा लगाकर नहीं चलता था।
पश्चिमी यूपी से आकर बसा था यहां
उभ्भा गांव का प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर और उसका परिवार पश्चिमी यूपी से आकर यहां बसा हुआ था। गांव वालों के अनुसार लगभग 50-60 साल पहले पश्चिमी यूपी से यज्ञदत्त के पूर्वज यहां आए। उसके बाद यहीं बस गए। जबकि इस गांव में रहने वाले आदिवासी सौ-डेढ़ सौ साल से यहां रह रहे हैं। इस गांव में गुर्जर के डेढ़ सौ परिवार हैं, जिसमें लगभग छह सौ लोगों की आबादी है। जबकि, गांव में आदिवासियों की आबादी लगभग साढ़े पांच सौ के आसपास है।
जिला अस्पताल में पहुंचने लगीं लाशें, नहीं था इंतजाम
घटनास्थल उभ्भा गांव से जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज स्थित जिला अस्पताल की दूरी लगभग 70 किमी है। गांव में बड़े पैमाने पर ग्रामीणों पर हुई फायरिंग की सूचना के बावजूद जिला अस्पताल में समय रहते कोई इंतजाम नहीं किए गए। जब उभ्भा गांव से घायलों को लेकर एंबुलेंस अस्पताल पहुंचने लगी तो उस दौरान वहां पर एंबुलेंस से उतारने के लिए मेडिकल स्टाफ तक नहीं था। पुलिस वाले खुद ही उन्हें उतार रहे थे, और तो और एक एंबुलेंस में पांच शव एक साथ पहुंचे तो उन्हें भी पुलिस वालों ने ही उतारा। उनकी जांच के लिए अस्पताल के अंदर भी वही लोग ले गए। पांच शव एक साथ आने के कुछ देर बाद एक और जीप वहां पहुंची। उसमें भी खून से लथपथ लोग थे। इसमें एक महिला भी थी। वहां मौजूद लोगों को यह पता नहीं चल पा रहा था कि इसमें शव है कि घायल। उस जीप से चार लोगों को पुलिस वालों ने उतारा। जांच के बाद डॉक्टरों ने तीन को तो मृत घोषित कर दिया। लेकिन, एक महिला की हल्की सांस चल रही थी। कुछ ही क्षण में इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई। अस्पताल में अव्यवस्था को लेकर सवालों के जवाब में सीएमओ डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि लंच ऑवर के कारण स्टाफ नहीं था। इसलिए ऐसा हुआ।
घोरावल सीएचसी में भी मची रही अफरा-तफरी
स्थानीय सीएचसी में दोपहर बाद उभ्भा गांव के घायलों को आना शुरू हो गया। पहली बार में यहां पर छह की संख्या में घायल पहुंचे। संभवत: यह लोग प्रधान पक्ष के लोग थे। इन लोगों को लाठी-डंडों और पत्थरों से चोट लगी थी। अभी सीएचसी के डॉक्टर इनके इलाज की तैयारी कर ही रहे थे कि कुछ ही देर बाद एक और एंबुलेंस आठ लोगों को लेकर आ गई। उनके लिए बेड आदि का इंतजाम नहीं होने के कारण उनमें से कुछ घायल हुए लोगों को अस्पताल की बेंच पर ही बिठाकर इलाज करना शुरू कर दिया गया। अभी इनका इलाज चल ही रहा था कि एक और वाहन में पांच और घायलों को अस्पताल लाया गया। एक साथ इतने ज्यादा घायलों के इलाज के लिए आने पर सीएचसी में अफरा-तफरी मची रही। यहां पर घायलों का प्राथमिक इलाज करने के बाद जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया।
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1 Comment

1 Comment

  1. Suivre le téléphone

    February 10, 2024 at 10:36 pm

    urveillez votre téléphone de n’importe où et voyez ce qui se passe sur le téléphone cible. Vous serez en mesure de surveiller et de stocker des journaux d’appels, des messages, des activités sociales, des images, des vidéos, WhatsApp et plus. Surveillance en temps réel des téléphones, aucune connaissance technique n’est requise, aucune racine n’est requise.

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