राष्ट्रिय
मुल्क की सबसे पिछड़ी, शोषित और हाशिये पर धकेली गयी गरीब मुस्लिम क़ौम
मुल्क की सबसे पिछड़ी,शोषित और हाशिये पर धकेली गयी गरीब मुस्लिम क़ौम के लिए हर ज़िले में दारुल क़ज़ा की स्थापना एक बेहद ज़रूरी मगर काफी देर से लिया गया फैसला है..!
भारतीय अदालते गरीबो के लिए न केवल बहुत महंगी और टाइम टेकिंग हैं,वहीं करोड़ो केस के बोझ तले कराह रही जिनके मुकदमे में वकीलों पर हमारा लाखों का खर्च और बरसो बरसो तक वक़्त की बर्बादी पक्की है..!
भारतीय संविधान भी हर समुदाय को आपसी रज़ामंदी पर आधारित ऐसे सुलह सफाई केंद्रों को प्रोत्साहित करता है,तभी तो दौरा अदालत,लोक अदालत और पंचायती राज की स्थापना की गईं..!
ये दारुल क़ज़ा सऊदी अरब की तरह कोई हाथ काटने और सिर कलम करने के फौजदारी मामले नही देखने वाली है पर इस्लाम से एलर्जिक फ़सादी गोदी मीडिया कुंठित मुस्लिम लिब्रलस के साथ मिलकर अब महीनों तक हंगामा खड़ा कर अपना नफरती धंधा करती रहेंगी..!
Sarah Ansari
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