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मुस्लिम अपने दीन से दूरी के सबब ज़लील व बरबाद होरहे हैं
मुस्लिम अपने दीन से दूरी के सबब ज़लील व बरबाद होरहे हैं ये सच है लेकिन-
दीन का मफ़हूम सिर्फ़ इतना ही नही है जितना ये बेज़मीर , बेगैरत और खुदगर्ज़ मुल्ले और इमाम सदियों से बताते आरहे हैं ! इस्लाम तो सारे कायेनात की क्यादत करता है ! जब तक मुस्लिम इन खौदगर्ज़ों के ब्रेनवाश से हटकर इस्लाम की आफ़ाकियत को इस्लाम में शामिल करके नही देखे गा यूं ही रुस्वा ,ज़लील और बरबाद होते रहेगा ! मुस्लिम कौम को चाहिये कि इन मुल्लों से हटकर इस्लाम के बारे में उसके आफ़ाकी क्यादत के बारे में सही जानकारी हासिल करें !
कुरान ए मुकद्दस की आयतों को देवबंदी , सलफ़ी, बरेलवी या शिया बन कर मत पढो , मुस्लिम बन कर पढो ! उसका पैगाम आफ़ाकी है उसे महदूद मत करो !
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