राष्ट्रिय
नारी को जागृत किये बिना राष्ट्र का विकास सम्भव नही है -B.R.Ambedkar
SD24 News Network
मिशन का काम करना फांसी के फंदे पर चढ़ने से भी ज्यादा कठिन काम है क्योंकि फांसी पर चढ़ने से व्यक्ति एक बार में ही मर जाता है, किंतु मिशन का काम करने वाला व्यक्ति रोज मरता है लेकिन वही गुलामी की जंजीर में जकड़े समाज को आजाद करा सकता है ।
अन्याय का प्रतिकार करते समय अगर आपकी मृत्यु आती है तो कोई बात नहीं, क्योंकि आपकी आने वाली पीढ़ी आपकी मृत्यु का बदला अवश्य लेगी, लेकिन अन्याय सहन करते करते ही अगर आप मर जाओगे तो आने वाली पीढ़ी भी आपकी जैसी ही गुलाम बनेगी ।
स्वाभिमानी लोग ही संघर्ष की परिभाषा समझते हैं, जिनका स्वाभिमान मरा होता है वह गुलाम होते हैं।
समाज में अनपढ़ लोग हैं, ये हमारे समाज की समस्या नहीं हैं लेकिन जब समाज के पढ़े लिखे लोग भी गलत बातों का समर्थन करने लगते है और गलत को सही दिखाने के लिए अपने बुद्धि का उपयोग करते हैं, तब ये हमारे समाज की समस्या बन जाती है ।
जिस दिन मन्दिरों में जाने वाली लाईने पुस्तकालयों की तरफ जाती दिख जायेगी, उस दिन भारत विश्व मे महाशक्ति बनेगा ।’
नारी राष्ट्र की निर्मात्री है। हर नागरिक उसकी गोद में पलकर बड़ा होता है । नारी को जागृत किये बिना राष्ट्र का विकास सम्भव नही है। -“डॉ बी. आर. अम्बेडकर”
इनमे से एक भी कथन अगर आपने पिछले एक हफ्ते में नही पढ़ा और खुदको अंबेडकरवादी कहते हो तो आप अंबेडकर- वादी नही सिर्फ अंधभक्त हो ।
साल में एक बार अंबेडकर जयंती मनाकर बाबा साहब को याद करने वालों और हर बात में जय भीम जय भीम की रट लगाने वालों, महापुरुषों को पूजने की नही बल्कि उनके बताये रास्ते पर चलने की जरूरत होती है, क्योंकि बाबा साहब ने खुद कहा था – “मेरे नाम की जय जयकार करने के बजाय मेरे बताये हुये रास्ते पर चलें।”
जिन्होंने बाबा साहब को इंसान से भगवान बना डाला और जो सिर्फ जय भीम रटने के अलावा कुछ और नही करते उन सभी अंबेडकरवादियों के लिए आज आत्मचिंतन का वक़्त है।
क्योंकि जिस तरह जाहिल, मानसिक गुलाम और कुतर्की होना अंधधार्मिक होने की पहली शर्त है, ठीक उसी तरह शिक्षित, समझदार और तार्किक होना अंबेडकरवादी होने की पहली शर्त है । अंबेडकरवाद कोई धार्मिक किताब नही जिसका साल में एक बार जाप करलो, अंबेडकरवाद एक विचारधारा है जिसको सतत अध्यन से और मजबूत करना होता है । बाबा साहब कोई भगवान नहीं एक विद्वान थे और वो हमेशा कहते थे – अनुयाई बनो…. अंधभक्त नहीं ।
तो आज अंबेडकर जयंती पर प्रण लीजिए नियमित अध्यन का और प्रण लीजिए की- “सिर्फ उनके बताएं रास्ते पर चलेंगे, उनकी पूजा नहीं करेंगे ।” पूजा कर करके बुद्ध को मार दिया, कबीर को मार दिया, गुरु नानक को मार दिया, अब बाबा साहब को मत मारो । क्योंकि ये मर गए तो फिर दुबारा इस देश में कोई बुद्ध, कोई अंबेडकर, कोई कबीर, कोई नानक कभी पैदा नही होगा ।
-Girraj Ved
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