राष्ट्रिय
क्यों सरकारों ने अधिकतम गति सीमा 30 किमी प्रति घंटे करने का वादा किया है?
कोविड महामारी के दौरान पिछले साल हुई तालाबंदी के कारणवश सड़क दुर्घटनाएं तो कम हुई हैं पर सड़क दुर्घटनाओं में मृत होने वालों की संख्या उस अनुपात में कम नहीं हुईं क्योंकि लोग बहुत तेज़ गति से मोटर वाहन चलाते हैं जिसके कारणवश जानलेवा सड़क दुर्घटनाएं होती रहीं. हर साल 13 लाख से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में मृत होते हैं – हर 24 सेकंड में 1 व्यक्ति मृत. तेज़ रफ़्तार से मोटर वाहन चलाना सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण रहा है जिससे पूर्णत: बचाव मुमकिन है. 40-50 प्रतिशत लोग तय गति सीमा से अधिक रफ़्तार से गाड़ी चालते हैं. हर 1 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार बढ़ाने पर 4-5% जानलेवा सड़क दुर्घटना होने का खतरा बढ़ जाता है.
Why have governments promised to limit the maximum speed to 30 kmph?
इसीलिए 6वें संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह (17-23 मई 2021) का प्रमुख सन्देश ही यही है कि सरकारें अपने किये वादानुसार अधिकतम गति सीमा 30 किमी प्रति घंटे को सख्ती से लागू करें जिससे न केवल सड़क दुर्घटनाएं कम हों और सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर में गिरावट आये बल्कि अन्य लाभ भी मिलें जैसे कि सड़क सबके लिए सुरक्षित जगह बनें, पर्यावरण लाभान्वित हो और अन्य सतत विकास लक्ष्य की ओर हम सब प्रगति कर सकें.
Why have governments promised to limit the maximum speed to 30 kmph?
नेल्सन मंडेला की पोती ज़ोलेका मंडेला ने 11 साल पहले अपनी 13 वर्षीय बच्ची ज़ेनानी को सड़क दुर्घटना में खो दिया. ज़ोलेका मंडेला अब इसी मुहीम में समर्पण के साथ लगी हैं कि सड़क सबके लिए सुरक्षित बनें, लोग सड़क पर सुरक्षित महसूस करें और आराम से आवागमन करें – पैदल चलें, साइकिल चलायें, बच्चे अपने विद्यालय बेझिझक सुरक्षित जा सकें. ज़ोलेका मंडेला भी यही मांग कर रही हैं कि अधिकतम गति सीमा 30 किमी प्रति घंटे से अधिक न हो. ज़ोलेका मंडेला का यह कहना है कि 30 किमी प्रति घंटे से अधिक गति सीमा करना एक तरह से मृत्यु दण्ड देने जैसा है.
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Why have governments promised to limit the maximum speed to 30 kmph?
30 किमी प्रति घंटे से अधिक रफ़्तार पर गाड़ी चलाने से जो लोग पैदल चलते हैं उनको लिए घातक सड़क दुर्घटना का खतरा अत्याधिक बढ़ जाता है. पैदल चलते बच्चे-युवा एवं वृद्ध पर भी सड़क दुर्घटना में मृत होने का खतरा अनेक गुणा अधिक मंडराता है. जितनी दूरी में 30 किमी प्रति घंटे से आती कार रुक जाती है उतनी दूरी पर 50 किमी प्रति घंटे से आती कार ब्रेक लगने पर भी काफ़ी तेज़ गति से आ रही होती है जिसके कारण दुर्घटना होने का खतरा बढ़ जाता है. शोध बताते हैं कि हर 1 मील प्रति घंटे की रफ़्तार कम करने पर 6% सड़क दुर्घटना होने का खतरा कम हो जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार बढ़ाने पर 3% सड़क दुर्घटना और 4-5% सड़क दुर्घटना में मृत होने का खतरा बढ़ जाता है.
Why have governments promised to limit the maximum speed to 30 kmph?
पिछले साल 19-20 फरवरी 2020 को, स्टॉकहोम में दुनिया के सभी देशों के मंत्री के लिए उच्च-स्तरीय बैठक हुई और सड़क सुरक्षा के लिए सबने संयुक्त रूप से एक स्टॉकहोम डिक्लेरेशन (स्टॉकहोम घोषणापत्र) ज़ारी किया. इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे हमारे देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी. इस स्टॉकहोम घोषणापत्र का एक बहुत महत्वपूर्ण वादा है कि सभी देश अधिकतम गति सीमा को 30 किमी प्रति घंटा करे और सख्ती के साथ प्रभावकारी ढंग से उसको लागू करवाएं. इस बैठक और घोषणापत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि मंत्रियों ने इस बात को माना कि अधिकतम गति सीमा कम करने से सड़क दुर्घटनाएं और इनमें होने वाली मृत्यु कम होती है इसका ठोस प्रमाण है. अधिकतम गति सीमा को कम करना सड़क सुरक्षा की ओर एक मज़बूत कदम होगा, तथा पर्यावरण और वायु पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
फरवरी 2020 के स्टॉकहोम घोषणापत्र के बाद अगस्त 2020 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में 194 देशों के प्रमुख ने भी सड़क सुरक्षा के प्रति अपना समर्थन दिया और 2020 तक जो लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया (सड़क दुर्घटना और मृत्यु दर को 50% कम करने का), उसको 2030 तक पूरा करने के वादे को पुन: दोहराया गया. संयुक्त राष्ट्र महासभा में देशों के प्रमुख ने स्टॉकहोम घोषणापत्र के वादों के अनुरूप ही (जिसमें 30 किमी प्रति घंटा अधिकतम गति सीमा शामिल है), सड़क सुरक्षा के लिए अपना समर्थन दिया. 2030 तक सिर्फ 115 माह शेष हैं पर किसी भी असामयिक मृत्यु को रोकने में एक पल भी देरी नहीं होनी चाहिए.
दुनिए में अनेक शहरों में 30 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति सीमा लागू हो गयी है. ब्रुसेल्स (बेल्जियम), पेरिस (फ्रांस) और स्पेन देश के अनेक शहर, बोगोटा (कोलंबिया), अक्रा (घाना), हो ची मिंह सिटी (वियतनाम) आदि इनमें प्रमुख हैं. तंज़ानिया देश में अधिकतम गति सीमा कम करने से सड़क दुर्घटनाएं 26% कम हो गयी हैं. टोरंटो (कनाडा) में 2015 में जब अधिकतम गति सीमा 40 किमी प्रति घंटे से 30 किमी प्रति घंटे की गयी तो वहां सड़क दुर्घटनाएं 28% कम हो गयीं, और गंभीर प्राणघातक सड़क दुर्घटनाएं तो दो-तिहाई कम हो गयीं! कोलंबिया (बोगोटा) में अधिकतम गति सीमा कम करने से सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु 32% कम हो गयी. लन्दन (इंग्लैंड) में पाया गया कि अधिकतम गति सीमा को कम करने से सड़क दुर्घटनाएं 42% कम हो गयी. इंग्लैंड के एक और शहर ब्रिस्टल में 2008 में जब 30 किमी (20 मील) प्रति घंटे की अधिकतम गति सीमा लागू की गयी तो 2016 तक जानलेवा सड़क दुर्घटनाओं में 63% गिरावट आ चुकी थी.
अधिकतम गति सीमा को 30 किमी प्रति घंटे करने की मुहीम में वैश्विक स्तर पर एक बुलंद आवाज़ हैं लीना हुदा जिन्होंने “30 प्लीज” नमक अभियान भी सक्रिय किया हुआ है. उन्होंने सिटिज़न न्यूज़ सर्विस (सीएनएस) से कहा कि वह जर्मनी में पली-बड़ी हुयी हैं जहाँ लोग कार-पसंद तो हैं और कार उद्योग भी बहुत प्रभावशाली है परन्तु पैदल चलने वालों और साइकिल चलाने वालों की सुरक्षा के लिए भी सशक्त इंतज़ाम हैं. उन्हें जर्मनी में पैदल चलने या साइकिल चलाने में कभी भी असुरक्षित नहीं लगा. कार चलाने वालों को यह नहीं लगता है कि ‘वह सड़क के मालिक हैं’ बल्कि सड़क को सबके साथ सुरक्षा से साझा करने की समझ को प्राथमिकता दी गयी है. सड़क पर खेलते हुए बच्चे या साइकिल चलाते हुए लोग या पैदल चलते लोग नहीं वरन कार चलाने वाले लोग ‘देख के चलते हैं’ कि बच्चों, पैदल या साइकिल पर चलने वाले लोग सुरक्षित रहें और सड़क अधिकार की प्राथमिकता पायें. यदि सड़क पर बच्चे खेल रहे हैं तो जर्मनी में इसका स्वागत किया जाता है परन्तु जर्मनी के अलावा अन्य जगह पर इसी बात पर लोग नाराजगी व्यक्त करते हैं.
लीना जब जर्मनी से वोल्लोंगोंग, ऑस्ट्रेलिया, आ गयीं, तो उनको सड़क सुरक्षा में अंतर और गहराई से समझ आया. ऑस्ट्रेलिया में अधिकतर जगह अधिकतम गति सीमा 50 किमी प्रति घंटे की है और स्कूल आदि के पास 40 किमी प्रति घंटे की है. यदि 30 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से आ रही गाड़ी से किसी की दुर्घटना हो जाती है तो मृत होने का 10% से भी कम खतरा है. परन्तु यदि गाड़ी 50 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से आ रही हो तो दुर्घटना होने पर मृत होने का खतरा 85% है. इसीलिए वह ’30 प्लीज’ अभियान का नेत्रित्व कर रही हैं जिससे सड़क सभी लोगों के लिए सुरक्षित बने, बच्चे सुरक्षा और आराम से पैदल या साइकिल से स्कूल आदि जा सकें और अन्य सभी वर्ग के लोग भी सड़क का पूरा उपयोग कर सकें.
बॉबी रमाकांत – सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत, बॉबी रमाकांत स्वास्थ्य अधिकार और न्याय पर लिखते रहे हैं और सीएनएस, आशा परिवार और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) से जुड़े हैं. ट्विटर @bobbyramakant)
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