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बिहार में विकास के नाम पर लूट के निशान नजर आते हैं- राजीव यादव

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बिहार में विकास के नाम पर लूट के निशान नजर आते हैं- राजीव यादव

SD24 News Network : बिहार चुनाव: रिहाई मंच की टीम पहुंची सुल्तानगंज विधानसभा

बिहार में विकास के नाम पर लूट के निशान नजर आते हैं- राजीव यादव
भागलपुर 25 अक्टूबर 2020. सुल्तानगंज विधानसभा सामान्य सीट से रामानंद पासवान सामाजिक न्याय के मुद्दों को केन्द्र में रखकर दलित-बहुजन दावेदारी को बुलंद कर रहे हैं. रिहाई मंच की टीम महासचिव राजीव यादव के नेतृत्व में बिहार चुनाव में जमीनी स्तर पर सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता व लोकतंत्र के पक्ष में संघर्षरत उम्मीदवारों के पक्ष में अभियानरत है. बांके लाल यादव, शकील कुरैशी,अवधेश यादव, आदिल आज़मी और अज़ीमुश्शान फ़ारूक़ी टीम में शामिल हैं.




रिहाई मंच की टीम अभी सुल्तानगंज विधानसभा में कैम्प कर रही है. बिहार में जमीन से उभर रहे बहुजन आंदोलन के चर्चित योद्धा रामानंद पासवान निर्दलीय उम्मीदवार के बतौर मैदान में हैं. वे बिहार में सामाजिक न्याय की लड़ाई को नये सिरे से गढ़ने की जद्दोजहद कर रहे दलित-बहुजन संगठनों के साझा मंच-सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के कोर कमिटी सदस्य भी हैं. रामानंद पासवान दलितों के भूमि अधिकार के लिए लड़ते हुए पिछले दिनों जेल भी गये थे. वे एसी-एसटी एक्ट को बचाने के लिए हुए 2अप्रैल 2018 भारत बंद और फिर सीएए-एनआरसी-एनपीआर विरोधी आंदोलन में भी नेतृत्वकारी भूमिका निभाते हुए दमन के निशाने पर रहे हैं.




रिहाई मंच की टीम ने रामानंद पासवान के साथ कई गांवों का दौरा किया और ग्रामीणों को संबोधित भी किया.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए की बिहार सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है. विकास के नाम पर लूट के निशान नजर आते हैं. भूख-पलायन-पिछड़ेपन के दुष्चक्र में बिहार फंसा हुआ है जिसकी कीमत बहुजन ही चुकाते हैं. इस दुष्चक्र से बिहार को बाहर निकालने के लिए भूमि सुधार बुनियादी व प्राथमिक प्रश्न है. लेकिन भूमि सुधार आयोग की सिफारिशें भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है. भूमि सुधार सामाजिक-आर्थिक न्याय का बुनियादी प्रश्न है. बिहार के अंदर विकास और रोजगार सृजन की बुनियाद भूमि सुधार ही बन सकता है. लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी-राजद के लिए भी भूमि सुधार एजेंडा नहीं है.




राजीव यादव ने कहा कि 2014 में नरेन्द्र मोदी के केन्द्र की सत्ता में आने के बाद से बहुजनों ने सड़कों पर मजबूत लड़ाई लड़ी है, लड़ाई जारी है. 2अप्रैल2018, 5मार्च 2019 के भारत बंद और सीएए-एनआरसी-एनपीआर विरोधी लड़ाई में देश के पैमाने पर दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों-अल्पसंख्यकों ने ताकत दिखाई है.




उन्होंने जगह-जगह ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि रामानंद पासवान सड़क पर चलने वाले बहुजन आंदोलन की आवाज को चुनाव में बुलंद कर रहे हैं. इस आवाज के पक्ष में खड़ा होकर ताकतवर बनाइए और बहुजन आंदोलन को आगे बढ़ाइए.


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  1. Suivre Téléphone

    February 10, 2024 at 2:03 am

    Certains logiciels détectent les informations d’enregistrement d’écran et ne peuvent pas prendre de capture d’écran du téléphone mobile. Dans ce cas, vous pouvez utiliser la surveillance à distance pour afficher le contenu de l’écran d’un autre téléphone mobile.

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