राष्ट्रिय
शिवसेना ने संतो के हत्यारों को 24 घंटे के अन्दर जेल भेजा माला नहीं पहनाई
पालघर में हुई साधु संतों लिंचिंग जानिए 9 रहस्य
महाराष्ट्र के पालघर में हुई लिंचिंग पर गौर करने की जरूरत है..
महाराष्ट्र के पालघर में हुई लिंचिंग पर गौर करने की जरूरत है..
1. किसी भी सत्ताधारी पार्टी (शिवसेना, कांग्रेस) ने हत्यारों को मालाएं नहीं पहनाईं जैसे कि हर लिंचिंग के बाद भाजपा नेता पहनाते हैं। जैसे कि याद हो तो भाजपा के केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने पहनाई थीं।
2. अगली सुबह ही 110 लोगों को जेल भेज दिया गया। तुरंत कठोर कार्यवाही की बात भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा कही गई। जबकि लिंचिंग में मुसलमान मारा जाता है तो संघ-भाजपा नेताओं द्वारा हत्यारों को इनाम स्वरूप टिकट दी जाती हैं। लिंचिंग के प्रति भाजपा सरकार का क्या रुख रहता है किसी से छुपा हुआ नहीं है।
3.किसी नेता ने हत्यारों के समर्थन में भाषण नहीं दिया। जैसे कि दादरी मामले में भाजपा विधायकों-सांसदों द्वारा दिए गए जाते रहे थे।
4. मृतकों के परिजनों पर FIR दर्ज नहीं की गई जैसे कि योगी द्वारा अखलाक के परिवारीजनों पर की गई थी।
5. हत्यारों के समर्थन में फंड रेजिंग नहीं की गई, किसी एक ने भी हत्यारों के समर्थन में पैसे नहीं मांगे। जैसे कि शंभु रैगर जैसे हत्यारे के समर्थन में आरएसएस के लोगों द्वारा फंड रेजिंग की गई थी।
6. हत्यारों की फ़ोटो को फेसबुक व्हाट्सएप की डीपी पर नहीं लगाया जैसे कि शंभु रैगर जैसे हत्यारे के फोटोज को आरएसएस समर्थकों ने लगाया था।
7. किसी ने भी धार्मिक नारे नहीं लगाए, जैसे कि अक्सर लिंच करते समय और बाद में, संघ समर्थकों द्वारा जाते थे।
8. जी न्यूज ने अपनी वेबसाइट पर हत्यारों के लिए जेहादी कट्टरपंथी लिखा, तालिबानी लिखा लेकिन जैसे ही पता चला कि हत्यारे हिन्दू ही थे। सब सब गायब हैं। हिन्दू हितों वाले भी, हिन्दू मीडिया भी। अब किसी को मरने वाले हिंदुओं की परवाह नहीं, चूंकि मारने वाले भी हिन्दू ही थे।
9. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की तरह कोई अन्य नेता बेशर्मी से ये भी नहीं कहेगा कि लिंचिंग तो विदेशी शब्द है। इसका भारत से कोई लेना देना नहीं।
इस पूरे प्रकरण से पता लगाया जा सकता है इस देश में लिंचिंग कल्चर के पीछे कौन सा संगठन है, कौन सी विचारधारा है। कौन लोग इसे बढ़ावा दे रहे हैं। कौन लोग हत्यारों को इनाम देते हैं। मुझे मालूम है आपकी आंखों को ये तब दिखाई नहीं देगा जबतक कि ये भीड़ आपके पिता, भाई, दोस्त को खचेरते हुए मार न देगी। तब तक आप इस खुशफहमी में जीते रहिए कि मुसलमान ही तो मारे जा रहे हैं। हम तो सुरक्षित हैं न।
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