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अल्लाह के दिखाए हुए रास्ते पर चलने की हिदायत जब जब लोगों को मिलती है तब-तब दुनिया में कुछ ऐसा होता है जो इंसानियत के लिए मिसाल कायम क्र जाता है।
एक तरफ जहाँ दुनिया के कुछ लोग इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने में लगे हुए हैं वहीँ बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो इस्लाम का असल मतलब समझकर इसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को समझने के काम में जुटे हुए हैं।
ऐसी ही एक मिसाल पेश की है सुभाष परिहार (Subhash Parihar) ने सिख धर्म की महान शख्सियतों से मिलकर जिन्होंने क़ुरान शरीफ के पैगाम को पूरी दुनिया में बसे पंजाबी जाने वाले लोगों तक पहुँचाने के लिए इस काम को अंजाम दिया। परिहार जो की हिन्दू मजहब से ताल्लुक रखते हैं बठिंडा के रहने वाले हैं और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ पंजाब (Central University of Punjab) के रिटायर्ड प्रोफेसर हैं। आजकल एक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ा रहे परिहार को कुरान शरीफ की एक दुर्लभ प्रति मिली जोकि 1911 में प्रिंट की गई थी।
105 साल तक कुरान शरीफ की यह प्रति बहुत से लोगों को सच्चाई का रास्ता दिखाने के बाद हिन्दू विद्वान प्रोफेसर परिहार के पास पहुंची जिन्होंने इसे पंजाबी भाषा जिसे हम गुरमुखि भाषा के नाम से भी जानते हैं में लिखवाने का सोचा।
इस पवित्र ग्रन्थ को पंजाबी में अनुवादित करने के पीछे की वजह बताते हुए कुरान शरीफ के गुरमुखी संस्करण (अनुवाद) को लिखने वाले संत अलोमहारी ने कहा: “कुरान शरीफ में दुनिया की सच्चाई का निचोड़ है। यह लोगों को सही रास्ता दिखाती है है लोगों को इस्लाम और उसकी शिक्षाओं की सख्त ज़रूरत हैवो क़ुरान में दिए गए पैगाम को पूरी दुनिया के लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं। यही वजह है की उन्होंने इसे पंजाबी भाषा में अनुवादित कर इस काम में भागीदारी करने की कोशिश की है”।
“Quran Sharif is a squeeze of the truth of the world. It shows the right path to the people. People are in dire need of Islam and its teachings. They want to spread the message given in the Quran to the people of the whole world. That is why they have tried to participate in this work by translating it into Punjabi language “. – Sant Vaidya Gurditt Singh Alomhari
अपने इस काम को उन्होंने किस तरीके से अंजाम दिया इसके बारे में बताते हुए प्रो परिहार बताते हैं: “इस कुरान शरीफ को अरबी भाषा में से गुरमुखी भाषा में लिखने का काम संत वैद्य गुरदित्त सिंह अलोमहारी (Sant Vaidya Gurditt Singh Alomhari) ने पूरा किया है। इस काम को पूरा करने और पंजाबी में लिखी कुरान की प्रतियां छपवाने में जो भी खर्च आया है उसे दो हिन्दू भगत बुधमल अदटली मेवजत और वैद्य भगत गुरदित्ता मल के साथ एक सिख मेला सिंह अत्तर वज़ीराबाद ने उठाया है। “