SD24 News Network
एर्तुग्रुल ग़ाज़ी ड्रामे के पीछे तो यह मकसद है एर्दोगान का
तुर्कों ने बड़ी मेहनत करके एक तारीख़ी ड्रामा बनाया..
इस ड्रामे के पीछे उनका एक ही मक़सद था कि अपनी तारीख़ लोगो को बता सकें, लोग उनका इतिहास जान सकें, कि किन मुश्किल हालातों से पेश आकर, कितनी जानें गवाँ कर उन्होंने दुनिया पर अबतक की सबसे बड़ी ख़िलाफ़त क़ायम की थी.
ड्रामे के ज़रिये दिखाया गया कि कैसे मुश्किल हालातों में भी जोश में होश नही खोया जाता, हिकमत हमेशा काम आती है। सियासी सोच आपका मुस्तक़बिल तय करती है।
कैसे अदल और इंसाफ़ क़ायम किया जाता है, कैसे अपने हक़ के लिए लड़ा जाता है, कैसे सही रास्ते पर चलने के लिए कभी कभी घर बार परिवार तक छोड़ना पड़ता है।
ड्रामा बनाने के पीछे का मक़सद था ख़ुद का इतिहास बताना, लेकिन सबकॉन्टिनेंट के जज़्बाती गिरोहों ने इसको बस दिल बहलाने और खुश फहमी पालने तक ही देखा और समझा।
कोई हलीमा सुल्तान की वीडियो लगा कर गाना चला रहा कि “अगर तुम मिल जाओ ज़माना छोड़ देंगे हम”
तो कोई अरतुगरुल की वीडियो लगा कर “अज़ीमुश्शान शहंशाह वाला गाना चला रहा”
ओ भई ड्रामा इसलिए नही बनाया गया कि आप उसके एक्टर और एक्ट्रेसेस से मुहब्बत करने लग जाएं बल्कि उन किरदारों से आपको रूबरू कराना था जिन्हें आप ने अपनी रंगीन ज़िन्दगी की चकाचौंध में या तो भुला दिया था या तो आपको उनके बारे में इल्म ही नहीं था..
बाकी जो समझना है समझिये