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यह कोई तहजीब-वहजीब नहीं। This is Islam । बचपन से यही सिखाया जाता है
SD24 News Network
यह कोई तहजीब-वहजीब नहीं। This is Islam । बचपन से यही सिखाया जाता है
मंदिर का पुजारी भी आदमी है। मंदिर बंद होने से वह भी भुखमरी के हालत में है। मुस्लिम भाई इनको मुहब्बत से खिला रहे तो मैं इसके साथ हूँ जबकी मैं इस बात का सख्त मुख़ालिफ़ रहा हूँ के कांवड़ियों को केला खिलाया जाये या रामनवमी जुलुस को शर्बत बांटा जाए। क्योंकि वह मदद नहीं होती गंगा जमुना की नौटंकी होती है, वह अल्लाह की रज़ा हासिल करने के लिए नहीं किया जाता बल्कि डर कर या आसानी पाने के लिए ,या बहुत बड़े वाले सेक्युलर हैं,या हम धर्म नहीं देखते हम इन्डियन हैं ,इन सब जैसी बातों के लिए क्या जाता है ।
रामनवमी में DJ बजाते जाते लोग क्या मुश्किल में होते है जो उन पर खर्च किया जाये,या गैरुल्लाह की इबादत में मज़ा है जो प्रोमोट कीया जाये ? जब तंगी है नहीं तो क्यों? पर अभी किसी पुजारी की मदद करना ,किसी मंदिर में भूखे बैठे लोगों की मदद करना भूखे मजबूरों की मदद है, मुसीबत में फसे लोगों की मदद है जो की ईस्लाम की शिक्षा है। ब्राह्मण हो या दलित जो भी भूखा है मजबूर हो उसको मदद ही ईस्लाम की शिक्षा है। साधु हों बाबा हों पुजारी हों कोई भी हों, सबको असलियत तो पहुंचेगी के ईस्लाम क्या है और उनको क्या बताया गया है ।
एक बहुत अच्छी वीडियो थी जिसमें मुस्लिम बच्चे मंदिर में जा के परेशान हाल पुजारियों को राशन दे रहे हैं और कह रहे हैं के हम आप को भूखे नहीं रहने देंगे रोज़ खाना पहुंचाएंगे इंशाल्लाह और पंडित बहुत एहसानमंद हो कर राशन ले रहा पूरी बॉडी लैंग्वेज शुक्रिया की है । पर इसको शेयर नहीं किया ,क्योंकि नौजवानों ने तो वह किया जो उनको घर में बचपन से बताया जाता है इस्लाम की शिक्षा देते वक़्त, पर वीडियो एडिटर ने उस वीडियो के ऊपर टाइप कर दिया के हम सब भारतीय एक हैं, गंगा जमुना का तड़का लगा दिया ।
लो अब, भारतियों का मामला रहता तो मंदिर के पुजारी को हिन्दू समुदाय भूखा छोड़ते जो मुस्लिम को जाना पड़ता ? पुजारी मर गया तो हिन्दू शव नहीं उठाता ? कोई आगे नहीं आया ,मुस्लिम लाश ले गए । तो यह मुस्लिमों के भारतीय होने के वजह से हुआ ? नेपाली होते तो हम नहीं उठाते, या नेपाली की मदद नहीं करते ?फिर यह बोलने में काहे की हिचक है मेरे भाई के यह हम इस कारण करते हैं के हमारे माँ बाप ने ईस्लाम हम को बचपन से सिखाया, हम कहीं विदेश जायेंगे तो विदेशियों के लिए भी यही करेंगे ।
तो जिस वीडियो में भी यह वतन का तड़का या कैप्शन में लिख देता है के ‘humanity is above religion ‘ मानवता धर्म से ऊपर है तो उस वीडियो को इग्नोर कर देता हूँ। क्योंकि मानवता का मामला होता तो मानवतावादी आगे रहते न कहाँ हैं वह,दाढ़ी टोपी वाले मानवता के चलते आगे आये हैं के धर्म के चलते ? फिर इतना बड़ा झूठ क्यों ? धर्म से मानवता है , मानवता से धर्म नहीं है ।दाढ़ी टोपी वाला नेकी कर रहा उसको गंगा जमुना बोल दो ,इन्डियन कर रहा बोल दो , क्या कमीनापन है यह ? इस्लाम से इतना चिढ़ क्यों जो सच न बोला जाये ?
-शादान अहमद