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मरते हुए मजदूर सियासत के खिलौने हैं, वे खुला खेल खेल रहे हैं
SD24 News Network
मरते हुए मजदूर सियासत के खिलौने हैं, वे खुला खेल खेल रहे हैं
मरते हुए लोग सियासत के खिलौने हैं. वे खुला खेल फर्रुखाबादी खेल रहे हैं. लोग मर रहे हैं, ये दोनों पार्टियां नंगा नाच रही हैं. कांग्रेस ने 1000 बस कहकर 879 ही भेजीं, तो इसमें बीजेपी सरकार को क्या परेशानी है? सरकारी खजाने का पैसा तो था नहीं. आटो, रिक्शा, साइकिल, टिर्री, टमटम जो भी है, लोगों को जाने दीजिए.
लेकिन बीजेपी की समस्या यह है कि केंद्र से लेकर राज्य तक, पूरी की पूरी व्यवस्था चरमरा गई है और अब इनसे कुछ भी संभल नहीं रहा है. 55 दिनों में जनता की जो दुर्दशा हुई है, अब इन्हें शर्म आ रही है. अब बीजेपी डरी हुई है कि कोई अन्य दल इनपर भारी न पड़ जाए. अगर विपक्ष बस चलाएगा तो सरकार अपने आप धंस जाएगी. चुल्लू भर पानी न मिलेगा. इसलिए बसें चलने नहीं दे रहे.
अपनी बनाई कुव्यवस्था से इतना अलबला गए हैं कि इन्हें कुछ सूझ नहीं रहा है. यह भी नहीं कि हजारों ट्रेन और बसें खड़ी हैं तो कम से कम लोगों की जान ही बचा ली जाए.
कांग्रेस के बस चलाने के प्रस्ताव पर भाजपा सरकार की बेहतर प्रतिक्रिया तो यह होती कि सरकार अपने परिवहन विभाग को लगा देती और लोगों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाती. लेकिन लग रहा है कि योगी जी के सलाहकार लोग चाहते हैं कि सरकार की फजीहत हो. चार दिन से यह जो नौटंकी हो रही है, उसकी कीमत लोग जान देकर चुका रहे हैं.
इस मामले में कांग्रेस भी बढ़त लेने वाली राजनीति ही कर रही है. कांग्रेस शासित राज्यों से सभी मजदूरों को सरकारी वाहनों से सुरक्षित भेजा जा चुका हो, ऐसा भी नहीं है. राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ से भी लोग पैदल भाग रहे हैं.
ये दोनों तस्वीरें ट्वीट करते हुए पत्रकार Alok Putul ने लिखा है, ‘यह रायपुर की तस्वीरें हैं, जहां सैकड़ों बसों को चलाये जाने का दावा है’. नेता लाशों पर कैसे राजनीति कर सकते हैं, उसका यह घिनौना नमूना है. 55 दिनों से पलायन जारी है और आजतक इसका कोई उपाय नहीं हो पाया.
मरते हुए लोगों का कोई नहीं है.
-लेखक कृष्ण कांत स्वतंत्र पत्रकार है