राष्ट्रिय
खुल गया राज़ : ट्रांसपोर्ट मालिकों को धमकियां देने मांगा था बसों का ब्यौरा ?
SD24 News Network
नई दिल्ली। प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की पहल पर एक हज़ार बसों की व्यवस्था राजनीति के परवान चढ़ गई है। पहले उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बसों को अनुमति में आनाकानी, फिर बसों की सूची और सभी बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट जमा कराये जाने और अंत में बसों के नंबरों को सियासत शुरु हो गई है।
कांग्रेस का आरोप है कि राजस्थान से दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर आ रही बसों को आगरा के करीब ही रोक लिया गया और उन्हें यूपी सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
इतना ही नहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि एक हज़ार बसों में से कई बस मालिकों को धमकियां मिल रही हैं। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि यूपी सरकार ट्रांसपोर्टरों को धमका रही है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार के आरटीओ उन ट्रांसपोर्टरों को धमकी दे रहे हैं, जिन्होंने बसें उपलब्ध कराई हैं।
इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार की शाम लखनऊ के हजरतगंज थाने में प्रियंका गांधी वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस द्वारा जो बसों की जो सूची उपलब्ध कराई गई है, उनमें ऑटो और दूसरे वाहनों के भी नंबर हैं।
हालांकि लखनऊ आरटीओ के पत्र के अनुसार 1049 वाहनों में से 938 बसें हैं। इनमे 879 बसें और 59 स्कूल बसें हैं। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए बसें चलाने की अनुमति को लेकर समय आगे खींचती जा रही है।
प्रवासी मजदूरों के लिए बसें चलाने के लिए कांग्रेस और यूपी सरकार के बीच नौ पत्रों का आदान-प्रदान हो चुका है। कांग्रेस ने राज्य सरकार पर जानबाझूकर बसों की मंजूरी नहीं देने का आरोप लगाया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की तरफ से मंगलवार की शाम एक बार फिर पत्र लिखा गया जिसमें आरोप लगाया गया है कि आगरा के पास ऊंचा नागला बॉर्डर पर बसे खड़ी हैं, लेकिन प्रशासन उन्हें आगे नहीं जाने दे रहा है।