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Coronavirus: प्लाज्मा के लिए खून देने कोई नही आया आगे तो डॉ. तौसीफ खान बोले में हु ना ।
SD24 News Network
Coronavirus: डॉ. तौसीफ खान के खून से हुई प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत -डॉ. तूलिका चंद्रा
लखनऊ: एक तरफ मीडिया द्वारा देशभर में मुसलमानों के खिलाफ माहौल खडा किया जा रहा है । तो दूसरी तरफ मुसलमान ही अपना खून देकर देश के कोरोना संक्रैतों की जान बचाने के लिए सबसे पहले आगे आते दिख रहे है । यह देश में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वालों के मुह पर ज़ोरदार तमाचा माना जा रहा है । उधर तबलीगी ज़मात के 40 सदस्यों ने कोरोना संक्रमितीं की जान बचाने के लिए अपना रक्त दान किया है । डॉक्टरों के अनुसार 40 ज़मातियों के खून से सैकड़ों कोरोना पोजिटिव संक्रमितों की जान बचाई जा सकती है । अभी एक खबर कोरोना से लड़कर जंग जितने वाले डॉक्टर तुसी खान के रक्त से प्लाझ्मा थेरेपी की शुरुवात की गयी है ।
कोरोनावायरस से संक्रमण के कारण गंभीर रूप से बीमार मरीजों के उपचार के लिए किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में प्लाज्मा थेरेपी की प्रक्रिया शनिवार से आरंभ हो गई और केजीएमयू के रेजीडेंट डॉक्टर तौसीफ खान पहले ऐसे व्यक्ति होंगे जो अस्पताल में इस कार्य के लिए अपना प्लाज्मा दान करेंगे. इस नेक काम के लिये उन्होंने शनिवार को रमजान के पहले दिन रोजा रखकर अपने रक्त का नमूना केजीएमयू को दिया. उनके रक्त की जांच ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में हो रही है. जांच के बाद सब कुछ ठीक पाए जाने पर डॉ. खान के शरीर से प्लाज्मा लिया जाएगा, जो कोरोनावायरस से संक्रमित कम से कम दो गंभीर मरीजों के इलाज में काम आएगा.
केजीएमयू की ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. तूलिका चंद्रा ने शनिवार को बताया, ‘‘केजीएमयू में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर रोगियों के इलाज पर काम शनिवार से शुरू हो गया. इस सिलसिले में केजीएमयू के रेजीडेंट डॉक्टर तौसीफ खान के रक्त का नमूना लिया गया है. वह संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो गए हैं. इस नमूने की जांच में हम उनके रक्त में एंटी-बाडीज की क्या स्थिति है, उसकी जांच करेंगे. उसके बाद हम उनके शरीर से 500 मिलीलीटर प्लाज्मा ”प्लाज्मा फेरेसिस” विधि से निकालेंगे. इस प्रकिया में करीब डेढ़ से दो घंटे का समय लगेगा. इसके बाद हम इस प्लाज्मा को स्टोर कर लेंगे.”
डॉ. खान के रक्त की जांच के बाद उनके रक्त से प्लाज्मा निकालने की प्रक्रिया रविवार को की जा सकती है. उन्होंने बताया, ‘‘इस प्लाज्मा को हम स्टोर कर लेंगे और गंभीर मरीज को इस प्लाज्मा में से 200 मिलीलीटर प्लाज्मा चढ़ाया जाएगा. यानी एक मरीज के प्लाज्मा से दो मरीजों को ठीक किया जा सकता है.” डॉ. चंद्रा ने बताया कि अगर पहली बार 200 मिलीलीटर प्लाज्मा चढ़ाए जाने से मरीज में सकारात्मक परिणाम नहीं दिखता है, तो उसमें दोबारा 200 मिलीलीटर प्लाज्मा चढ़ाया जाएगा. केजीएमयू के डॉ. खान में एक संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के बाद 17 मार्च को संक्रमण की पुष्टि हुई थी. वह सात अप्रैल को केजीएमयू से ठीक होकर अपने घर में 14 दिन के लिये पृथक-वास में रहे थे. अब वह एक बार फिर केजीएमयू में अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं.
डॉ. खान ने कहा, ‘‘मुझसे कोविड-19 मरीजों की जांच कर रहे मेडिसिन विभाग के डॉ. डी. हिमांशु ने पूछा कि क्या मैं प्लाज्मा दान करने वाला पहला व्यक्ति बनना चाहूंगा. मैंने तुरंत हां कर दी क्योंकि रमजान के पवित्र महीने में अगर मैं किसी मरीज की जान बचाने के काम आ सकूं तो इससे बेहतर क्या होगा. मैंने शनिवार को अपना पहला रोजा रखने के दौरान अपना रक्त परीक्षण के लिये दे दिया.” डॉ. हिमांशु ने बताया, ‘‘डॉ. खान का रक्त परीक्षण के लिये ले लिया गया है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की टीम शनिवार शाम या रविवार को उनका प्लाज्मा निकालेगी.” डॉ. चंद्रा के मुताबिक प्लाज्मा निकालने के बाद इसे अन्य गंभीर मरीजों में इसे चढ़ाने की प्रक्रिया सोमवार या मंगलवार को शुरू हो सकती है.
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