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पिता की अर्थी को कंधा देने को मजबूर बेटियों की यह तस्वीर किसका कलेजा नहीं चीर देगी
SD24 News Network
नई दिल्ली : पिता की अर्थी को कंधा देते हुए आंसू बहा रही बेटियों की यह तस्वीर किसका कलेजा नहीं चीर देगी। लॉकडाउन की बंदिशों ने एक गरीब का जीवन छीन लिया तो इन बेटियों के सिर से पिता का साया। टीबी के मरीज अलीगढ़ निवासी संजय की हालत खराब हुई लेकिन आर्थिक अभाव और लॉकडाउन की बंदिशों ने इलाज से वंचित कर दिया।
गरीबी तो हमेशा से असंख्य लोगों के अरमानों और जिंदगियों का गला घोंटती रही है, अब लॉकडाइन (हालांकि ये जरूरी भी है) के हालात मुश्किलें और बढ़ा रहे हैं। अलीगढ़ की यह तस्वीर तो एक उदाहरण है, लेकिन हमारे आसपास ही मानवीय त्रासदियों की ऐसी ढेरों हृदयद्रावक तस्वीरें आंखें नम करती रहती हैं। बहुत दूर न जाइए, अपने आसपास की पीड़ाओं पर अपनी सहृदयता का मरहम लगाइए, सारी दुनिया की इन तस्वीरों से पीड़ाएं खुदबखुद कम होती जाएंगी।
वर्तान समस्याओं को लेकर सवाल क्यों नहीं ?
वर्तान समस्याओं को लेकर Adv Payal Gaikwad लिखती है, EM sorry PM जी अब सारे इवेंट जो की आप अपनी नाकामी छुपाने तथा गरिबों को मारने व कोरोना के पेशंट्स बढाने के लिए कर रहे, अगर खत्म हो गए हो , तो हम अब सबसे महत्त्वपुर्ण मुद्दे पर आए की हेल्थ प्रोफेशनल्स का क्या? उनके बेसिक इंतजामात का क्या? गरिबों के दो वक्त के निवालों का क्या? आपके इवेंट के चलते बढ़ रहे पेशंट्स का क्या? इस देश का क्या?
कि अब भी कहोगे नेहरु जिम्मेदार है? यह पुरूषी घमंड की अपने किए का पाप किसी और के सिर पर डालना कब बंद करेंगे? हवा में स्किम्स बनाना आसान है पर आखरी व्यक्ती तक पहुँचाना उतना ही मुश्किल । आप को करप्शन रोकने के लिए चुना था भक्तों ने.. आप तो सारे करप्शन के रिकॉर्ड तोड़ रहे है । खुद को फकिर कह कर रुपए १ तनख्वाह लेने की बात करते हो.. फिर १० लाख के सुट कैसे पहनते हो.. रोज लाखों का खाना कैसे खाते हो ।
मेरे प्यारे देशवासियों कहने वाले आप सबसे गरिब २०% जनता जब आज भुख प्यास से मर रही है, फिर भी आप लाखों का खाना खा रहे हो.. आपके गले से कैसे निगलता है निवाला? एक वायरस आपके इलाके में आके मुसलमान बनता है तो आप किस तरह के प्रधानमंत्री है जो शपथ तो सबको समान रखने की खाते है पर निभाते कभी नही । सर एक पढ़े लिखे समझदार तार्किक लिडर बनने में और भंपक लिडर बनने में ज़मीन आसमान का फर्क है.. देश चलाना धंदा चलाने की तरह नही है ।
थाना बन्नादेवी के नुमाइश मैदान निवासी चाय वाले संजय कुमार (45) को टीबी की बीमारी थी। लॉकडाउन के कारण उन्हें उचित इलाज नहीं मिल पाया, जिसके कारण शनिवार को उसकी मौत हो गई। संजय की पांच बेटियां हैं। संकट की घड़ी में इन बेटियों ने बेटों का फर्ज निभाया और पिता की अर्थी को खुद ही कंधा देकर अंतिम संस्कार किया।
बेटियों की कंधे पर पिता की अर्थी देख सभी की आंखें नम हो गईं। 45 वर्षीय संजय चाय बेचकर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। गरीबी की मार झेलने के बावजूद संजय ने कभी किसी के सामने मदद के लिए हाथ नहीं फैलाया।
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