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भूख : 4 बच्चों के साथ माँ की आत्महत्या, थू है ऐसी व्यवस्था पे
SD24 News Network
दुखदःघटना देखकर आज दिनभर मेरी आत्मा रोती रही कि काश यह नशा न होता तो शायद यह घटना न होती । ये माँ अपनी 4 बच्चियों के साथ जहर न खाती । कितना दर्द हुआ होगा इस माँ व बच्चियों को जहर खाने के बाद । कब समाज का बुद्धिजीवी वर्ग इस नशे के खिलाफ एक साथ आयेंगे ?
कौन है आज जिसकी आँखो से आँसू न निकले..
सबसे पहले इस आत्महत्या के लिए इसके पडोसी जिम्मेदार है । क्यूंकि जिस परिवार पर इतनी नौबत आती है और पड़ोसियों को पता नहीं होता ऐसा हरगिज नहीं है । 100% प्रतिशत पता होना ही है बावजूद इसके इनको खाने को तक नहीं देना यह पड़ोसियों की मानसिकता को दर्शाता है । इसलिए पडोसी जिम्मेदार है ।
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दूसरा इनके गाँव के मुखिया जो इन बेबस बेसहारा और गरीब मजदूरों का मताधिकार लेकर ग्राम प्रधान बनते है और बाद में इन लू को भूल जाते है । तीसरा जिम्मेदार है राज्य और देश की सरकार । गरीब, बेबस, असहाय लोगों के लिए करोड़ों का बजट पास तो करती है लेकिन इन तक पहुंचाने के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं करती जिससे ऐसे लोगों पर यह वक्त ना आये । (संपादक)
Abhishek Kumar लिखते है, थू है ऐसी प्रगति पे, थू है ऐसी सरकार पे, थू है ऐसी सोच पे, आज दिए जलाओ क्यों कि भारत मे आम लोगो को, किसानों को, मजदूर, गरीबो को भुखमरी से जहर खाकर आत्महत्या करानेवाली दलिन्दर व्यवस्था की सोच जो आपको नचा रहा है ।
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिला के शांतिनगर में एक माँ ने गरीबी से तंग आकर अपनी चार बेटियो के साथ जहर खा कर जान दे दी है । सच्चाई को कब तक छुपाओगे ? लोग भुखमरी पर आ गए है । आखिर यह सरकार कब तक लूटती रहेगी यहां लोग भूखे मर रहे है । और यहां के लोग बोल रहे है भारत प्रगति कर रहा है । तो थू है ऐसी प्रगति पे और थू है ऐसी सरकार पे ।
कोरोना से तड़पकर मरने के बजाए भारत मे उस मनुवादी मानसिकता से लड़ते-लड़ते मरना फक्र की बात होगी जो मानसिकता और उसकी सोच जिस सोच में भारत के बहुजन मूलनिवासी समाज का कोई स्थान नही है, वो विदेशो से चार्टर्ड प्लेन से उस एलीट क्लास के तत्सम ऊँची जातियों को लाने का इंतजाम तो करता है । लेकिन भूख प्यास से तड़प कर दम तोड़ रहे मूलनिवासी बहुजन समाज के लिय ना तो कोई संवेदना है ना योजना । लोग कोरोना होने पर मर ही जायंगे यह निश्चित नही है । लेकिन इस देश के बहुजन मुलनिवाशी समाज को मारने की तैयारी जरूर कर ली गई है।
-Abhishek Kumar (सामाजिक कार्यकर्ता है उनके नी विचार है)
(विशेष सुचना- प्रिय पाठक मित्रों, यह खबर फरवरी 2020 की है, खबर फेक नहीं है, हमने फरवरी की खबर मार्च में प्रकाशित की ऐसा भी नहीं है, ऐसी घटना के लिए किस हद तक कौन जिम्मेदार हो सकता है इसपर विचार रखे है, क्यूंकि हर कोई हर विषय पर सरकार को ही जिम्मेदार टहराता है जो सरासर गलत है, हमें कई ईमेल प्राप्त हुए है इसलिए सुचना अपडेट करनी पड़ी, धन्यवाद)
(विशेष सुचना- प्रिय पाठक मित्रों, यह खबर फरवरी 2020 की है, खबर फेक नहीं है, हमने फरवरी की खबर मार्च में प्रकाशित की ऐसा भी नहीं है, ऐसी घटना के लिए किस हद तक कौन जिम्मेदार हो सकता है इसपर विचार रखे है, क्यूंकि हर कोई हर विषय पर सरकार को ही जिम्मेदार टहराता है जो सरासर गलत है, हमें कई ईमेल प्राप्त हुए है इसलिए सुचना अपडेट करनी पड़ी, धन्यवाद)
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SD24 News Network
April 6, 2020 at 12:24 pm
Thanks Sir your Right
R N Jha
April 6, 2020 at 11:11 am
In a democracy only the neighborhood awareness and apt responses on time could be the unfailing guarantee against starvation. Please begin everyone right.