Current Affairsराष्ट्रिय
NRC का नया पेच : भक्तों को भी यह नहीं पता कि NRC कितने गुल खिला रही है- Deepak Aseem
SD24 News Network
एनआरसी का नया पेच
NRC का नया पेच : भक्तों को भी यह नहीं पता कि NRC कितने गुल खिला रही है- Deepak Aseem
एनआरसी के पक्ष में तर्क देने वाले सरकार भक्तों को भी यह नहीं पता कि असम में एनआरसी कितने गुल खिला रही है और अभी एनआरसी पूरी नहीं हुई है। छह साल से कागज-कागज खेल रही सरकार एक बार फिर उन्नीस लाख लोगों के साथ कागज कागज खेलने जा रही है। जो उन्नीस लाख लोग एनआरसी की लिस्ट से बाहर किये गए हैं, उन्हें एक कागज थमाया जाएगा, जिसका नाम होगा ‘रिजेक्शन स्लिप’। यानी सरकार इनसे लिखित में कहेगी कि हम आपको नागरिक नहीं मानते।
इन उन्नीस लाख लोगों को एक बार फिर फॉरेन ट्रिब्यूनल में जाना होगा। फारेन ट्रिब्यूनल में जा कर यह लोग बताएंगे कि अमुक कारण से हमारा नाम एनआरसी की लिस्ट में आने से रह गया है। इतने दिनों से रिजेक्शन स्लिप इसलिए नहीं दी जा रही थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हजार से ज्यादा फारेन ट्रिब्यूनल बनाने का आदेश दिया था। यानी छोटी छोटी अस्थायी अदालतें। इन अदालतों में कोर्ट में काम करने वाले वकीलों को जज बना कर बैठाया गया है। सबसे पहले रिजेक्शन स्लिप बांटी जाएगी। सबको स्लिप देने में कुछ वक्त लगेगा। शायद दो चार महीने। बीस मार्च से बंटना शुरू हो जाएगी।
जब स्लिप बंट चुकेगी, तो कहेंगे आपका समय शुरू होता है अब…और लोग फारेन ट्रिब्यूनल के आगे एक बार फिर जाकर दलील अपील पेश करेंगे। इसके बाद फिर लंबी सांस लेकर सरकार बैठ जाएगी। फिर पता नहीं कब एक और फाइनल लिस्ट जारी होगी। इस फाइनल लिस्ट में पता नहीं किसे लिया जाएगा और किसे बाहर किया जाएगा। मगर जितने लोग बाहर किये जाएंगे, उनके पास एक मौका होगा कोर्ट जाने का। फिर एक मौका हाईकोर्ट जाने का और एक मौका सुप्रीम कोर्ट जाने का। जाहिर है कि अब अनेक संगठन मदद के लिए बन गए हैं जो इन पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे जरूर। इसमे शायद 10 साल और लग जाएं। जिनका केस चल रहा होगा, वो कौनसे तनाव में जिएंगे, इसकी कल्पना भी हम नहीं कर सकते।
मान लेते हैं कि सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद उन्नीस लाख में से केवल दो लाख लोग ही ऐसे बचेंगे, जिनके पास नागरिकता नहीं होगी। तो ऐसे लोगों का क्या होगा? कोई नहीं जानता कि क्या होगा क्योंकि इस बारे में अभी कोई फैसला सरकार ने नहीं किया है। तो अब बताइये कि पूरे देश में एनआरसी होना चाहिए या नहीं? यह मत कहिए कि एनआरसी का तो मना कर दिया है। एनपीआर ही एनआरसी का पहला चरण है, यह सरकार खुद मानती है। यह हम घुसपैठियों का पता लगा रहे हैं, या अपने नागरिकों को टार्चर कर रहे हैं?
(लेखक दीपक असीम के निजी विचार)