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अकबरुद्दीन औवैसी AMIM की रीढ़ की हड्डी हैं, अल्लाह करे सलामत रहे
हलांकि मैं राजनीति में परिवारवाद का विरोधी हूं लेकिन फिर भी अकबरउद्दीन औवैसी का राजनीतिक इतिहास जानने के बाद उन्हें सिर्फ़ परिवारवादी राजनीति का प्रोडक्ट नहीं कह सकता क्योंकि जब हैदराबाद में AMIM लगभग अपनी आखिरी सांसे गिन रही थी और 1994 के विधानसभा चुनाव में AMIM चारमीनार की सीट छोड़कर अपनी पांचों सीटें हार गयी थी ,फ़ायरब्राण्ड नेता अमानुल्लाह खान ने AMIM से अलग होकर अपनी पार्टी मजलिस बचाओ तहरीक ( MBT ) बना ली थी और AMIM के गढ़ चंद्रयानगुट्टा से मजलिस के उम्मीदवार को बुरी तरह हराकर हैदराबाद से AMIM की हवा उखाड़ दी थी ,खुद सलाहुद्दीन औवैसी किसी तरह से बहुत कम मार्जिन से 1996 और 1998 का लोकसभा चुनाव जीत पाये थे ,ऐसे में अकबरुद्दीन की राजनीति में इंट्री होती है 29 साल के जोशीले अकबरुद्दीन ने हैदराबाद में दिन रात गली मुहल्ले घूम घूम कर AMIM को फिर से पूरी ताकत से खड़ा कर दिया हैदराबादी राजनीति में हज़रमी पहलवानों के दबदबे को तोड़ा जो MBT के साथ हो गये थे और खुद हैदराबाद की सबसे मुश्किल सीट चंद्रयानगुट्टा से हैदराबादी राजनीति के धुरंधर अमानुल्लाह खान को चैंलेंज किया और उन्हें बुरी तरह से हराकर MBT की राजनीति को लगभग खत्म कर दिया,
सुल्तान सलाहुद्दीन औवैसी की मौत के बाद नर्म मिज़ाज असदउद्दीन औवैसी के लिए हैदराबाद की राजनीति आसान नहीं थी लेकिन उन्हें राजनीति में मज़बूती के साथ खड़ा करने में सबसे बड़ा किरदार अकबरूद्दीन औवैसी ने अदा किया है, आज असदउद्दीन औवैसी दूसरे राज्यों में अपनी पार्टी का फैलाव इसलिए कर पा रहे हैं क्योंकि उन्हें अकबरुद्दीन के रहते तेलंगाना की राजनीति की फ़िक्र नहीं करनी पड़ती है, अकबरुद्दीन औवैसी AMIM की रीढ़ की हड्डी हैं जो अगर अल्लाह ना करे इतनी जल्दी टूट गयी तो AMIM भी हैदराबाद में बिखर जायेगी इसीलिए मुस्लिम क़यादत के फैलाव के लिए अकबरुद्दीन का सेहतमंद रहना ज़रूरी है अल्लाह उन्हें जल्द से जल्द शिफ़ा अता करे ।
-काशिफ अंसारी
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