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टीपू सुल्तान का इतिहास मिटा सके किसीकी औकात नहीं

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SD24 News Network Network : Box of Knowledge
टीपू सुल्तान के नाम पर भले ही विवाद चल रहा हो आज , लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जासकता है की इतिहास के पन्नों से टीपू सुलतान का नाम मिटा पाना असंभव है. आज ऐसे ही कुछ रोचक और अनमोल बातें हमारे साथ जानेंगे, 
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20  November 1750 में कर्नाटक के देवनाहल्ली में जन्मे टीपू सुल्तान का पूरा नाम सुल्तान फ़तेह अली खान था. जबकि उनकी मृत्यु 4 मई 1799 को श्रीरंगपट्टम के दुर्ग की रक्षा करते समय अंग्रेजो से युद्ध के दोरान हुयी थी, जिन्होंने अपने दम पर मयसूर का शासन स्थापित किया था.
उनके पिता का नाम हेदर अली खान  और माँ का नाम फातिमा फकरून्निसा था | उनके पिता मैसूर साम्राज्य के एक सेनिक थे लेकिन अपनी ताकत के बल पर वो 1761 में मैसूर के शासक बने .टीपू सुलतान को इतिहास न केवल एक योग्य शासक और योद्धा के तोर पर दीखता है बल्कि वो बहुत विद्वान् भी थे.
उनकी वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता हेदर अली ने ही उन्हें शेर -ए -मैसूर के खिताब से नवाजा था.
1. टीपू सुल्तान को दुनिया का पहेला मिसाइल मेन माना जाता है. बीबीसी की खबर के मुताबिक, लंदन के मशहूर साइंस म्यूजियम में टीपू सुलतान के रॉकेट रखे हुए हैं. इन राकेटों को अंग्रोजों ने 18 वि सदी के अंत में अपने साथ ले गए थे.
2. टीपू सुल्तान  ने 18 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों के विरुद्ध पहेला जंग जीता था.
3. टीपू सुल्तान खुद को नागरिक टीपू कहा करते थे.
4. पालाक्कड किला ” टीपू का किला नाम से भी प्रसिद्ध है .यह पालाक्कड टाउन के मध्ये भाग मे स्थित है .इसका निर्माण 1766 में किया गया था .यह किला भारतीय पूरा तात्विक सौरक्षण के अंतगर्त संरक्षित स्मारक है.
5. वेसे अंग्रेजों को भी टीपू सुल्तान की शक्ति का अहेसास हो चूका था इसलिए छिपे मन्न से वो भी संधि चाहेते थे. दोनों पक्षों में वार्ता मार्च, 1784 में हुयी और इसी के फलस्वरूप ” मंगलोर की संधि ” संपन्न हुयी.
6. कई बार अंग्रेजों के छक्के चुडा देने वाले टीपू सुल्तान को भारत के पूर्व राष्ट्रपति महान साइंटिस्ट डाक्टर ए.पी.जे. अबदुल कलाम ने विश्व का सबसे पहेला रॉकेट अविष्कारक बताया था| आज भी टीपू सुल्तान की राकेटों को  दुनिया के सबसे पहेले राकेटों में गिना जाता है.
7. टीपू सुल्तान की शहादत के बाद अंग्रेज़ श्रीरंग पट्टनम से दो रॉकेट ब्रिटन के “वूलविच संग्रहालय” की आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी के लिए ले गए. दोनों रॉकेट भारतीय विज्ञानिकी का अद्दुत ज्ञान प्रदर्शित करते हैं.
8. टीपू सुल्तान ने 1782 में अपने पिता हेदर अली के मौत के बाद मैसूर की कमान संभाली. टीपू ने पानी के भण्डारण के लिए कावेरी नदी के तट पर बांध की नीव रखी थी, जिसपर आज कृष्णराज सागर बांध बना हुआ है.
9. लंदन के ब्रिटीश म्यूजियम में मैसूर के राजा टीपू सुल्तान की तमाम चीजें सजी हुयी हैं. ख़ास कारीगरी वाली टीपू सुल्तान की एक भारी भरकम तलवार इनमे से एक है. जिसे 200 साल बाद मशहूर बिज़नसमैन विजय मल्ल्या ने लंदन में 2003 में नीलामी के वक़्त खरीदा और इसे वापस इस तलवार को इंडिया मे लेके आये. आज फिर से टीपू सुल्तान की तलवार अपने असली म्यान में है. इस तलवार की मुठ पर रत्नजडित बाघ बना हुआ है.
”टाइगर ऑफ़ मैसूर” कहे जाने वाले टीपू सुल्तान का प्रतिक चिन्ह बाघ था . जो उनसे जुडी चीजों पर प्रमुख रूप से अंकित मिलता है.
10. श्रीरंगपट्टनम में हुई जंग में टीपू सुल्तान के मौत के बाद उनकी खुबसूरत सी अंगूठी बर्तानी फोजें इंग्लैंड ले गयी थी. माना जाता है की अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान की मौत के बाद उनकी ऊँगली काटकर ये अंगूठी निकाल ली थी.
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