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अच्छा हुआ ट्रेन ड्राईवर मुस्लिम नहीं था, वर्ना भक्तजन रेल जिहाद घोषित कर देते

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अमृतसर ट्रेन हादसा: ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक नहीं लगाए, मार्च्‍युरी में लाशों का ढेर, मंत्री बोले- शायद जगह भी काफी न पड़े
ट्रेन के ड्राइवर जगबीर सिंह व गार्ड पन्ना लाल सहारनपुर हेडक्वार्टर से हैं। रेलवे अधिकारियों के सामने ड्राइवर अपनी सफाई देता रहा। उसका कहना था कि जब ट्रेन वहां से निकली तो उस समय ट्रैक साफ था और उसकी ट्रेन से कोई हादसा नहीं हुआ। रेलवे अधिकारियों ने ड्राइवर से गहन पूछताछ शुरू कर दी।

पंजाब के अमृतसर में हुए भीषण रेल हादसे में 60 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई है। दशहरा के अवसर पर रेल की पटरी के पास रावण दहन का कार्यक्रम देखने सैकड़ों लोग जमा थे। रेल मंत्रालय के उच्‍च-पदस्‍थ सूत्रों के अनुसार, शुरुआती जांच रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि स्‍थानीय रेलवे अधिकारियों ने रेलवे ट्रैक पर भीड़ की मौजूदगी पर ध्‍यान दिया होता तो हादसा टाला जा सकता था या फिर हताहतों की संख्‍या कम की जा सकती थी। अमृतसर के रेलवे अधिकारियों ने कहा कि उन्‍हें इस समारोह की जानकारी नहीं दी गई थी।
सूत्रों के अनुसार, जालंधर से अमृतसर की ओर आ रही डीएमयू लोकल ट्रेन और दूसरी तरफ अमृतसर से निकली अमृतसर हावड़ा मेल के ड्राइवरों ने इमरजेंसी ब्रेक्‍स नहीं लगाए। दशहरा पर आतिशबाजी के चलते अच्‍छी-खासी दूरी से रेलवे ट्रैक पर मौजूद भीड़ दिखाई दे रही होगी, दोनों ट्रेनें अपने अगले स्‍टेशनों तक पहुंची। हादसा एक इंटरलॉक्‍ड लेवल क्रॉसिंग से लगभग 200 मीटर की दूरी पर हुआ। सूत्रों के अनुसार, ट्रेनों को ग्रीन सिग्‍नल देने के लिए गेट बंद होना चाहिए, जो कि था भी। गेटमैन ने गेट बंद करने की बजाय नजदीकी स्‍टेशन को ख़बर करनी चाहिए थे ताकि ट्रेनों का आवागमन उसी हिसाब से संचालित किया जा सके।
अमृतसर के स्‍टेशन सुप्रिटेडेंट आलोक मेहरोत्रा ने द इंडियन एक्‍सप्रेस को बताया, ”अगर हमें रेलवे क्रॉसिंग के नजदीक कार्यक्रम की जानकारी दी गई होती तो हम ड्राइवर और ट्रेन के गार्ड को सतर्क कर देते, हादसा होने से रोका जा सकता था।” उन्‍होंने कहा, ”ट्रेन अधिकारियों की गलती नहीं है, क्रॉसिंग के लिए डाउन सिग्‍नल दिए जा चुके थे और जौड़ा क्रॉसिंग के गेट बंद थे।”
घटनास्‍थल से करीब एक किलोमीटर दूर, अमृतसर सिविल अस्‍पताल की मार्च्‍युरी में लाशों का ढेर लगा हुआ है। यहां इतनी जगह नहीं है कि सभी शवों को रखा जा सके। पंजाब के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ब्रह्म महिंद्रा ने कहा, ”हादसा इतना भयावह है कि अमृतसर की मॉर्च्‍युरी में लाशों के लिए जगह कम पड़ सकती है।” सिविल अस्‍पताल और गुरु नानक अस्‍पताल की मॉर्च्‍युरी के बाहर लाशें फर्श पर रखी हुई थीं। बाहर परिजन शवों के साथ ठीक व्‍यवहार न होने पर आगबबूला और व्‍यथित थे।
कैसे हुआ हादसा: रावण दहन के दौरान पटाखे की गूंज की वजह से लोग ट्रेन की सीटी की आवाज नहीं सुन सके। रावण के जलने के दौरान आग की लपटें तेज होने की वजह से लोग दशहरा स्थल से रेल पटरी पर जाकर नजारा देखने लगे। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि आग की लपटें तेज होने के बाद लोग रेल पटरी की ओर इस भय से खिसकने लगे कि पुतला उनके ऊपर न आ गिड़े। उसी दौरान ट्रेन आ गई। इससे पहले कि लोग कुछ समझते, ट्रेन बुरी तरह लोगों को कुचलते हुए निकल गई।
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