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बदायूं गैंग रेप : धार्मिक मान्यताएं, जघन्य अपराध और संवैधानिक कानून

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Religious beliefs, heinous crimes and constitutional law

SD24 News Network
– बदायूं गैंग रेप : धार्मिक मान्यताएं, जघन्य अपराध और संवैधानिक कानून

08-01-2021 : शर्मनाक, दुर्दांत निर्भया जैसे कांड, बदायूं मंदिर में दर्शन करने गयी 50 वर्षीय महिला की, मंदिर का मुख्य पुजारी ही, अपने दूसरे साथियों से मिलकर सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी है।




इससे भी बड़ा दुर्भाग्य कि इस केस को शुरुआती दौर में दबाने की भी कोशिश की गई। यह ऐसी पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी जुलाई-अगस्त 2018, मुजफ्फरपुर (बिहार) के बाल सुधारगृह में नाबालिग बच्चियों के साथ नशा देकर, बेहोश कर सामुहिक बलात्कार तथा देवरिया (उतर प्रदेश) के बाल सुधारगृह में नाबालिग बच्चियों को जबरन देह व्यापार में लिप्त करने आदि ऐसी घटनाएं सरकारी संरक्षण में चल रही थी।, काश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ मंदिर में सामुहिक बलात्कार कयी दिनों तक और फिर हत्या, देश को अचंभित कर दिया था।  इसी साल की खबर, पालघर महाराष्ट्र में दो साधुओं की सौ से ज्यादा भीड़ ने खुलेआम रोड पर पीट पीट कर हत्या कर दिया तथा  ठीक ऐसी ही घटना उत्तर प्रदेश में भी दो साधुओं की निर्मम हत्या कर दी गई थी।  




आज के विकसित समाज में ऐसी घटनाओं का क्या औचित्य है। भीड़ में किसी एक का भी जमीर या विवेक क्यों नहीं जागा? क्या आज हम सभी पागलों की श्रेणी में खड़े नजर आ रहे हैं। ऐसे कुकृत्य क्यों और किस कारण से सदियों से होते चले आ रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के आधार पर समझना बहुत जरूरी है।
1)- हमें यह भी महसूस हो रहा है कि, ऐसे कुकृत्यो का न रुकना, हिन्दू धर्म के अपने धार्मिक गुणों का प्रभाव भी हो सकता है।
2)- यह भी मान्यता है कि, हम कोई भी या कितना भी जघन्य अपराध करेंगे, भगवान की शरण में जाने से मांफ हो जाएगा।
3)- मासिक धर्म के बाद लड़की सिर्फ और सिर्फ भोग विलास की वस्तु बन जाती है। हिन्दू धर्म के विधान के अनुसार,  पवित्र शादी मासिक धर्म से पहले बाप की गोंद में बैठाकर कन्या दान के साथ ही पूर्ण होती है। मासिक धर्म के बाद फिर वही बेटी बाप की गोंद में नहीं बैठ सकती है। ए क्या मान्यता है कि, अब वही बेटी, मासिक धर्म के बाद बेटी नहीं हो सकती है? ऐसी मान्यताओं पर आधारित सोच को बदलना ही होगा।




4)- धार्मिक शास्त्र के अनुसार हर कुआंरी लड़की ब्राह्मण की भोग विलास की सम्पत्ति होती है। इसलिए शादी के वक्त सिन्दूर दान से पहले, ब्राह्मण को कुछ कीमत देकर उससे मुक्त कराया जाता है। जिस अवदान व सप्तविधि कहा जाता है। पढ़ें लिखे ज्ञानी भी अज्ञानता में यह काम करते हैं।
 संगकारा च भोग्या च सर्वस्त्रां सुंदरी प्रियाम्।
  योद् दाति च विप्राय चंद्रलोके महीवते।।
                (देवी भागवत 9/30)
 (जो भोग करने योज्ञ, सुन्दर, कुंवारी कन्या को वस्त्र आभूषणों सहित ब्राह्मणों को दान करेगा, वह चंद्रलोक पहुंच जाएगा)




क्या कोई ब्राह्मण या हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाला वुद्धिमान बताएगा कि, आज चंद्रलोक कहां है? और दान का मतलब भी तो यही होता है कि दिया और भुला दिया। यदि शादी के समय आप ने अग्नी को, सभी देवी-देवताओं को शाक्षी मानकर, सभी परिजनों के सामने, अपनी कन्या को बस्तु समझकर दान दे दिया है तो, उस समय के बाद उसे भूल जाना चाहिए। अब ससुराल वाले उसके साथ कुछ भी अत्याचार करें, फिर आप का किसी तरह का विरोध या फिर घड़ियाली आंसू बहाते हुए पुलिस या कोर्ट-कचहरी जाने का औचित्य, क्या बनता है?




5)- धार्मिक मान्यताओं के कारण ही आज भी बहुत से स्वार्थी, नालायक, अंधविश्वासी, बेटी-बेचवा बाप, अपनी बेटियों को धार्मिक संस्थाओं में देवदासी की जगह, अब सेवाब्रती बनाकर दान दे रहे हैं और पुन्य कमा रहे हैं। बेटों को दान क्यो नही किया जा रहा है? ऐसे जघन्य अपराध के लिए बाप भी कम दोषी नहीं है।
6)- जब द्रौपदी का सिर्फ चीरहरण, उसके परिवार वाले ही कर रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण मुम्बई की खटाऊ मिल से हजारों मीटर सारी चुराकर इज्जत बचाई थी। सारी बीच नारी है कि, नारी बीच सारी है
7)-आज जब भगवान के घर में, भगवान का ही दूत, आठ साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कर कर हत्या कर देता है और यही नहीं उसी भगवान के दूत साधुओं को भी पब्लिक खुलेआम रोड पर पीट पीट कर हत्या कर देती है, तब आज सभी भगवान कायर की तरह कहां छिप गए हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि, वे अस्तित्व में हैं ही नहीं, या  खुद ही इन्सान से डरकर कहीं भाग गये है। ऐसा न जाने कितने धार्मिक अपराध पूरे देश में रोज ही हो रहे हैं।

8)- सच तो यह है कि संविधान लागू होते ही हमारा हिन्दू समाज असमंजस की स्थिति में दो विधाओं, धार्मिक मान्यताओं और संवैधानिक कानून के बीचों-बीच में फंस कर रह गया है। जिस दिन संविधान लागू हुआ उसी दिन से हिन्दू धर्म की सभी पाखंडी मान्यताएं संविधान के अनुच्छेद -13 द्वारा ध्वस्त कर दी  गई। लेकिन अफशोस यही है कि खुद संविधान गलत धार्मिक पाखंडियों के हाथों में खिलवाड़ बन कर रह गया है और जब तक सही हाथों में नहीं आता है, तब तक ऐसे जघन्य धार्मिक अपराध रोकना मुश्किल है।
 
इसलिए, संविधान को सही हाथों में सौंपने और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सभी शूद्र समाज की ही बनती है। इसके लिए सभी को अपने मतभेदों को भुलाकर एक साथ आए बिना सम्भव नहीं है। धन्यवाद्।
-शूद्र शिवशंकर सिंह यादव लेखक के निजी विचार
मो०-W-7756816035

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1 Comment

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  1. Rastrear Celular

    February 10, 2024 at 12:02 am

    Como faço para saber com quem meu marido ou esposa está conversando no WhatsApp, então você já está procurando a melhor solução. Escolher um telefone é muito mais fácil do que você imagina. A primeira coisa a fazer para instalar um aplicativo espião em seu telefone é obter o telefone de destino.

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