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सेक्युलरिज्म का दोगला चेहरा ? “आशा है रामराज भी आयेगा” – अलका लांबा
अलका लांबा ने ट्वीट कर कहा कि – उसके मक़सद और मुद्दे साफ़ थे, वोट माँगा, बहुमत मिला, आज जो हो रहा है उसे रोक पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है, चर्चा हो सकती है तो बस उसे लागू करने के तौर तरीकों पर.चाहे वह #धारा370 हो, #नागरिकताकानून #ट्रिपलतलाक #नोटबंदी, #मंदिरनिर्माण और आगे चल कर #समाननागरिक_संहिता
एक अन्य ट्वीट में अलका ने कहा कि -सेकुलर का यह मतलब तो नहीं कि कोई अपना धर्म ही छोड़ दे या फिर उससे सीखे अच्छे सबकों का प्रचार प्रसार भी ना करे, उस पर बात भी ना करे ? मेरे जय #सियाराम कहने से आज दोनों तरफ़ के कटर अंध-भक्तों में बौखलाहट देखी जा सकती है, जिसका मुझ पर कोई असर नहीं होने वाला ..