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कांस्टेबल सुनीता यादव के समर्थन में सड़को पर उतरे लोग, ना MP, MLA ना मंत्री-संत्री

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कांस्टेबल सुनीता यादव के समर्थन में सड़को पर उतरे लोग, ना MP, MLA ना मंत्री-संत्री
अहमदाबाद। सूरत की कांस्टेबल सुनीता यादव को सोशल मीडिया के बाद अब ज़मीनी स्तर पर भी समर्थन मिलने लगा है। अहमदाबाद के मेघाणी नगर में गुजरात वाली एकता मंडल ने सुनीता यादव के समर्थन में मौन प्रदर्शन किया। जिसकी अगुवाई जयेश पटेल ने की। जयेश पटेल पाटीदार अनामत आंदोलन से जुड़े रहे हैं। अब भी वह हार्दिक के बेहद नजदीक माने जाते हैं। 




जयेश पटेल ने जनचौक को बताया कि “हमने कांस्टेबल सुनीता यादव के समर्थन में मौन प्रदर्शन किया। हमारा उद्देश्य था कि हम जनता को बता सकें कि कानून सब के लिए बराबर है। भले ही मंत्री का बेटा ही क्यों न हो।” मौन प्रदर्शन में शामिल अहमदाबाद कांग्रेस समिति (अल्पसंख्यक विभाग) के अध्यक्ष ज़ुल्फी खान पठान ने बताया कि “यह कोई पार्टी कार्यक्रम या पार्टी की ओर से प्रायोजित नहीं है। हम लोग व्यक्तिगत कारणों से वाली मंडल और जयेश पटेल के साथ मौन प्रदर्शन में शामिल हुए हैं। सुनीता यादव ने बता दिया कि कानून सबके लिए बराबर है। इसीलिए हम सब की सहानुभूति उनके साथ है।”




घटना इस प्रकार है। गुरुवार को रात लगभग साढ़े दस बजे सूरत वराछा के एक चौराहे पर कांस्टेबल सुनीता यादव की तैनाती थी। रात को दस बजे से कर्फ्यू लग जाता है। ऐसे में वहाँ से गुजरने वाले एक व्यक्ति को सुनीता रोकती हैं। जिसने मास्क भी नहीं लगा रखा था। जिसको लेकर कांस्टेबल और उस शख्स में कहा सुनी होती है। शख्स राजनैतिक रसूख दिखाते हुए सुनीता को एक ही जगह 365 दिन खड़े रखने की धमकी देता है। जिससे सुनीता यादव का पारा और गर्म हो जाता है। फिर उसे कानूनी डंडा दिखाकर एक किनारे खड़ा कर देती हैं। शख्स अपने एक मित्र को फोन कर घटना स्थल पर बुलाता है। आने वाला मित्र प्रकाश कानानी कतार गाम से भाजपा विधायक कुमार कानानी का बेटा था।




कुमार कानानी राज्य सरकार में आरोग्य मंत्री हैं। लेकिन सुनीता की उससे भी बेहद तीखी झड़प हो जाती है। वह अपने पिता के पद का रौब सुनीता पर झाड़ने की कोशिश करता है। जिसको सुनीता न केवल नजरंदाज करती हैं बल्कि कानून की हैसियत भी बताने की कोशिश करती है। जिसके तहत सबसे पहले उन्होंने प्रकाश कानानी की गाड़ी में लगी विधायक की नेम प्लेट हटवाती हैं। जिससे विधायक का बेटा आग बबूला हो जाता है। इस बीच सुनीता की विधायक पिता से बात भी होती है। जिसमें पिता ने तो सामने कानून में कोई दखल न देने की बा की। लेकिन बाद में सुनीता पर बेटे से माफी मांगने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि सुनीता ने माफी नहीं मांगी। और उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि खाकी वर्दी विधायक के लिए नहीं बल्कि कानून की सेवा के लिए पहनी है।




सुनीता का कहना है कि “मैं सच्ची थी फिर भी मेरे बड़े अधिकारियों ने मेरा पक्ष नहीं लिया। इसलिए मुझे इस्तीफा देना पड़ा।” कांस्टेबल सुनीता यादव ने अपनी नौकरी से इस्तीफा देने की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से दी है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इस्तीफे की पुष्टि पर कुछ भी साफ कहने से बच रहे हैं। पुलिस हेड क्वार्टर आरपीआई एम एम राठौड़ ने बताया कि ” सुनीता ने नौकरी से इस्तीफा नहीं दिया है वह छुट्टी पर गई हैं।” आरोग्य मंत्री कानानी का कहना है कि “मैंने उसी समय कहा था जो भी गुनाह बनता है उसके तहत कानूनी कार्यवाही करो। मेरा बेटा बहुत ही नम्रता से पुलिस के सामने खड़ा है। वह केवल प्रार्थना कर रहा है। पुलिस कैसे किसी को गाली दे सकती है। मैं पार्टी और सरकार के बीच इस मामले को रखूँगा ” सूरत पुलिस कमिश्नर ने पूरी घटना की जांच के आदेश दे दिये हैं। 




इन सब के बीच घटना से संबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार साझा किये जा रहे हैं। आरोग्य मंत्री से कांस्टेबल सुनीता यादव की हुई बात चीत के वीडियो के बाद सुनीता और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की टेलिफोनिक बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया और लोकल मीडिया में चल रहा है। जिसमें अधिकारी सुनीता की प्रशंसा करने के बजाय उससे पूछ रहे हैं कि तुमसे किसने कहा कि रात में दस बजे के बाद कोई घर से नहीं निकल सकता है।




जिसके उत्तर में सुनीता कहती हैं कि कर्फ्यू का तो मतलब यही होता है। आपने गाली क्यों दी उसे जिसके जवाब में सुनीता कहती हैं कि वह मुझे एक ही जगह 365 दिन खड़े रखने की धमकी दे रहा था। साहब मैं कैसे सुन लेती। पूरी घटना का सारांश यही है। एक तरफ लेडी सिंघम दूसरी तरफ सरकार के मंत्री का बेटा। तीसरी तरफ सोशल मीडिया जो पूरी घटना को जिंदा किये हुए है। वरना न जाने कितने गरीब हैं जो पुलिस की गालियां सुनकर चुप-चाप चले जाते हैं न ही अधिकारी पूछते हैं न ही मीडिया लिखता है। 




सुनीता यादव ने फेसबुक लाइव के माध्यम से बताया, ” मैं अपने विभाग से बंधी हुई हूँ। मीडिया को बहुत कुछ बताना चाहती हूँ । अभी मैंने केवल टेलीफोनिक इस्तीफा दिया है। कल इस्तीफे की आधिकारिक कार्यवाही पूरी कर लूंगी उसके बाद मीडिया से बात करूँगी। मैं बहुत दबाव में हूँ। मेरी तबियत भी ठीक नहीं है। बहुत से मीडिया वालों के फोन आ रहे हैं। इसलिए लाइव आई हूं।”
(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)


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