आदिवासी पुरुषों को दो पत्नी रखने का कानूनी अधिकार । और …… – रजनी मुर्मू

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आदिवासी पुरुषों को दो पत्नी रखने का कानूनी अधिकार । और …… – रजनी मुर्मू
कस्टमरी लॉ के तहत भारत के सभी आदिवासियों में दो शादी का अधिकार पुरूषों को मिला हुआ है इसके बावजूद लोगों ने बहुविवाह को समाज विरोधी या स्त्री विरोधी समझा है और ये काफी कम होता गया है ! लेकिन छीट पुट गाँव के अनपढ़ लोग अब भी कर ही रहे हैं! इसका कारण उसकी अशिक्षा या महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता का न होना हो सकता है !  


लेकिन आश्चर्य तब होता है जब हमारे यहाँ के तथाकथित शिक्षित पुरुष बहुविवाह कर मजे से समाज में इज्जत बटोर रहे होते हैं ये कह कर कि ये हमारा लॉ है ! इसके खिलाफ केस करने पर कोर्ट भी ये कह देता है कि ये आपका लॉ है तो सही है ! 
21वीं सदी में बहुविवाह के खिलाफ आदिवासी समाज की चुप्पी का कारण यही है कि आदिवासी ये मानकर चल रहा है कि आदिवासी स्त्रियों को कोई समस्या ही नहीं है ! ये बात सभी को घुट्टी की तरह पीला दिया गया है ! 


इससे ज्यादा आश्चर्य ये है कि कुछ लोग बहुविवाह प्रथा को सही ठहराते हुए जन-समर्थन जूटा रहे हैं क्योंकि समर्थकों में अधिकतर संख्या मर्दों की है ! तो उनका सपोर्ट पाने के लिए औरतों के आत्मसम्मान के साथ खिलवाड़ करना आसान लग रहा होगा उनको क्योंकि आदिवासी औरतें तो वैसे भी बोलती नहीं है ! 
जवान लड़को को दो तीन पत्नी रखने का हक है बोलकर  भीड़ इकट्ठा करने वाले लोगों, इतिहास आपका भी लिखा जायेगा ! आपका व्यवहार भी उस नेता की तरह है जिसके पास कोई वाजिब मुद्दा नहीं होता है और लोग आते नहीं सुनने के लिए तो अश्लील नृत्य कार्यक्रम भी भाषण के बीच बीच में चला लेते हैं! 
-लेखिका रजनी मुर्मू


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