CITIZENSHIP AMENDMENT ACT (CAA) & NRC
मान लीजिए की एक गांव में दो दोस्त हैं। जुम्मन शेख और अलगू चौधरी। दोनों का जन्म 1972 में हुआ और दोनों के माता-पिता अनपढ़ है। यानी उन दोनों के माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र भी नही है और कोई जमीन भी नही। जब NRC लागू होगा तो दोनों को विदेशी मान लिए जाऐगा। इस बात से कोई फर्क नही पड़ेगा की उनके पास पासपोर्ट है या राशनकार्ड है या पैन कार्ड है या वो सरकारी या प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं।
अब CAA (नागरिकता संशोधन कानून) के तहत अलगू चौधरी को मजबूरन ये लिख कर देना होगा की वो या उसके माता-पिता विदेशी है और उनके उपर विदेश में जुल्म हुआ था लिहाजा उसे भारतीए नागरिक मान लिए जाए। तब उसको भारतीय नागरिक मान लिए जाऐगा और जुम्मन शेख को विदेशी मान कर जेल में डाल दिया जाऐगा और वो भारतीय नही है तो किस देश का है ये भी नही बताया जाऐगा। फ़िर उसके उपर जुल्म होते रहेंगे।
अलगू चौधरी जैसे लोग ज्यादातर OBC, SC, ST, या आदिवासी होंगे। कई सालों बाद उनसे ये कहा जाऐगा की तुम विदेशी मूल के हो तो यहां रह तो सकते हो पर वोट नही डाल सकते, सरकारी नौकरी नही कर सकते स्कूल में पढ़ नही सकते, सिर्फ मजदूरी कर के पेट पाल सकते हो। *(यानी मनुस्मृति फ़िर से लागू हो जायेगी)* यानी अलगू चौधरी जिसको हजारों सालों तक शूद्र बना कर रखा गया वो फ़िर से गुलामी की ज़िंदगी जीने को मजबूर हो जाऐगा।
यानी खतरा जुम्मन शेख को भी है और अलगू चौधरी को भी। दुश्मनों की ये चालकी दोनों को समझना होगा। तो शांतिपूर्ण तरीके से, धर्म जाती से उपर उठ कर बिना कोई नुकसान पहुंचाए इस कानून के विरुध प्रदर्शन जरूरी है और अपने जिले के DM को ज्ञापन देना भी जरूरी है। आप कूछ नही तो ये मेसेज फॉरवर्ड कर के लोगों को जागरूक करके अपने कर्तव्य का थोड़ा सा पालन तो कर ही सकते हैं।
जिंदा रहना है तो हालात से डरना कैसा। जंग लाज़िम हो तो लश्कर नही देखे जाते।
-Yashraj Gahlot
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