Connect with us

संपादकीय

कल मैं रिक्शे से घर आई.मैंने रिक्शे वाले से पूछा- भैय्या आपके बच्चे हैं और ……..

Published

on

SD24 News Network Network : Box of Knowledge
कल मैं रिक्शे से घर आई…मैंने रिक्शे वाले से पूछा- भैय्या आपके बच्चे हैं, अगर बुरा न मानें तो, कुछ छोटे कपड़े मैं उनके लिए दे दूँ,
आप पहनाओगे क्या..??
उसने कहा – जी मैम साहब…मैंने कहा – आप घर के अंदर आ जाओ सोफे पर बैठो मैं कपड़े लाती हूँ! जब तक मैं कपड़े लाई वो बाहर ही खड़ा रहा,
ये देख मैंने कहा -भैय्या बैठ जाओ और देख लो जो कपड़े आपके काम आ जायें ..काँपते हुए वो सोफे पर बैठ गया शायद उसे बुखार भी था!
मैंने कहा -ठण्ड लग रही है तो चाय बना दूँ, आप पी लो..ये सुनते ही उसकी आँखो से आंसू बहने लगे, बोला नहीं मैम साहब बहुत छोटेपन से रिक्शा चला रहा हूँ! आज तक ऐसा कोई नहीं मिला जो, इतनी इज़्ज़त दे हम जैसे लोगो को, और ये जो कपड़े हैं जो आप लोग हम जैसों को देते हैं! हम लोग इसको रोज़ न पहन कर रिश्तेदारी या शादी- पार्टी में पहन कर जाते हैं! बहुत ग़रीबी है साहब… दो हफ़्ते बाद घर जाऊंगा तब बच्चे ये कपड़े पहनेंगे बहुत दुआ देंगे मैम साहब आपको…
ये बात सुनते ही मन बोझिल सा हो गया, फ़िर… मन में यही ख्याल आया..!!
बेजान_पत्थर के आगे मंदिर में दान करने से, तो अच्छा है! किसी जिन्दा व्यक्ति की जरूरतें पूरी की जाएँ… आपका_क्या_विचार_है_दोस्तो..??
जिस महिला ने भी ऐसा किया है उसे दिल की गहराइयों से धन्यवाद।

Loading…


Continue Reading
Advertisement
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *