संपादकीय

मुसलमानों में रत्ती भर भी कट्टरपंथ नहीं, अगर 1% में भी होता तो देश बर्बाद हो जाता -अजित साही

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“बचपन से जो घुट्टी के साथ पिया है उसे निकालना आसान नहीं है. लेकिन मुश्किल भी नहीं है. अपनी अक़्ल लगाओ.” 
 मेरे बचपन के प्यारे दोस्त विनय गोयल का कहना है कि आरएसएस इस्लामिक extremism से लड़ रहा है. मैंने उनको जो जवाब लिखा अलग से यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ:
विनय, तुम डॉक्टर हो. प्रैक्टिस करते हुए तुमको भी पच्चीस साल से ज़्यादा हो गए होंगे. ज़रूर तुम्हारे पास मुसलमान मरीज़ भी आते होंगे. उनमें से कितने तुमको इस्लामिक आतंकवादी लगे? कितने इस्लामिक extremists लगे? किसी मुसलमान ने तुमको हिंदू होने के नाते कोई धमकी दी? किसी के व्यवहार से तुमको लगा कि वो ग़ैर-मुसलमानों को मार गिराने की सोच रहा है? हम अपने बचपन की बात करते हैं. सलीम मसूद अनवर तुमको कट्टरपंथी लगता है? अगर कट्टरपंथी होता तो आज वो भारतीय नौसेना में इतना बड़ा अधिकारी होता? अब्बास की याद होगी. वो भी नौसेना में था. उसने देश के लिए जान दी थी. फ़रहान उल्ला तुमको कट्टरपंथी लगता है? रही बात इस्लामिक कट्टरपंथ से निपटने की, तो ग़रीब मुसलमान औरतों, बच्चों और आदमियों को दंगा करके मारने से इस्लामिक कट्टरपंथ ख़त्म हो जाएगा या और बढ़ेगा? बेगुनाह मुसलमानों को आतंकवाद के फ़र्ज़ी मुक़दमे में फँसाने से इस्लामिक कट्टरपंथ ख़त्म हो जाएगा या और बढ़ेगा? “कटुए काटे जाएँगे, राम राम चिल्लाएँगे” का नारा देने से इस्लामिक कट्टरपंथ ख़त्म हो जाएगा या और बढ़ेगा? ज़बरदस्ती “जय श्री राम” और “वंदे मातरम” बुलवाने से कट्टरपंथ ख़त्म होगा या और बढ़ेगा? गोमांस के नाम पर सड़क चलते मुसलमानों को मारने से इस्लामिक कट्टरपंथ ख़त्म हो जाएगा या और बढ़ेगा?
मस्जिद तोड़ने से इस्लामिक कट्टरपंथ ख़त्म हो जाएगा या और बढ़ेगा? बाबरी मस्जिद तोड़ देने से इस्लामिक कट्टरपंथ ख़त्म हो गया? हिंदुस्तान में बीस करोड़ के आसपास मुसलमान रहते होंगे. उनमें से कितने तुमको कट्टरपंथी लगते हैं? तुमको मैं निमंत्रण देता हूँ. मेरे साथ चलो मस्जिद, दरगाह और मदरसे भी. जिस मदरसे कहोगे ले चलूँगा. वहाँ दिखाना मुझे अगर इस्लामिक extremism पनप रहा है. दरअसल हिंदुस्तान वाहिद देश है जहाँ मुसलमानों में रत्ती भर इस्लामिक कट्टरपंथ नहीं है. जिनमें था वो पाकिस्तान चले गए. जिनमें नहीं था, जो भारत को मातृभूमि मानते थे, वो यहीं रुक गए. यही वजह है कि आजतक भारत में एक भी मुसलमान सुइसाइड बॉम्बर नहीं हुआ. यही वजह है कि यहाँ के मुसलमान ने एके-47 नहीं उठाई. सोच के देखो. मुट्ठी भर सिखों ने दस साल ज़बरदस्त आतंकवाद कर दिया था.
मुट्ठी भर कश्मीरी आतंकवादियों ने भारत की सेना का पच्चीस साल से जीना हराम कर दिया है. हिंदुस्तान में मुसलमान दाल में नमक की तरह मिले हुए हैं. अगर उनका एक फ़ीसदी भी वाक़ई extremism पर उतर आया तो हमारा देश बर्बादी की ओर चला जाएगा. विभाजन के वक़्त जैसे हुए थे उससे भी बुरे दंगे होंगे. उससे भी बुरा क़त्ल-ए-आम होगा. तुम सोचते हो कि आरएसएस के नाम पर आम हिंदू लाखों मुसलमान आतंकियों से खिलाफ़ लड़ पाएगा? आम हिंदू नहीं लड़ेगा. और चंद ग़ुंडों की मदद से आरएसएस बौखलाए हुए आम मुसलमानों को नहीं हरा पाएगा. तो क्या आरएसएस भारत की बर्बादी चाहता है? थोड़ा ठंडे दिमाग़ से सोचो. तुम्हारा बचपन से आज तक का जीवन आरएसएस में बीता है. मैं समझ सकता हूँ कि बचपन से जो घुट्टी के साथ पिया है उसे निकालना आसान नहीं है. लेकिन मुश्किल भी नहीं है. अपनी अक़्ल लगाओ. 
~ Ajit Sahi 

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