मुज़फ़्फ़रनगर :दंगे और गैंग रेप के सभी आरोपी बरी65 मुस्लमानों की हत्या और दर्जनों गैंग रेप हुए थे 2013 मे
आज़ाद भारत के सत्तर सालों मे दंगों का इतिहास बहुत लंबा जिसमे बहुसंख्यक समूदाय ने कानून को ठेंगा दिखाकर अल्पसंख्यक समूदाय पर धर्म की रक्षा के नाम हमले कियेऔर सड़कों पर बलात्कार और हत्याओं जैसे जघंन्नय अपराध किये
जिसे हमारे देश मे दंग कहा और लिखा जाता है जो असल मे एक समूदाय का दूसरे समूदाय पर हमला हैलेकिन इस सच्चाई को आज तक देश के किसी मीडिया हाउस या सरकार ने ना लिखा
और ना माना बल्कि देश मीडिया ने हर हमले को दंगा कहकर बहुसंख्यक कट्टरवाद पर पर्दा डालाऔर हेट क्राइम और एक तरफ़ा हमलों को दोनों समूदाय का झगड़ा बना दिया
यहाँ तक कि गुजरात 2002 जहाँ लगभग दस हज़ार मुस्लमानो को ज़िंदा जला दिया गया और हज़ारों महीलाओं के साथ सड़कों पर गैंग रेप हुएउसे भी भारतिय मीडिया दंगा कहता है और लिखता है
जहाँ एैसे हमलों का सत्तर वर्षों मे लंबी लिस्ट है वहीं पीड़ितों के साथ इंसाफ नदारद हैआज़ादी के बाद जितने हमले आज तक मुस्लिम समूदाय पर हुए हत्याएँ हुई मुझे याद नही कि किसी एक मे भी इंसाफ हुआ हो
अब चाहे वो 1984 सिख नरसंहार हो भागलपुर मुस्लिम नरसंहार गुजरात नरसंहार मुरादाबाद नरसंहार ,हाशिमपुरा नरसंहार महाराष्ट्र नरसंहार या फिर मुज़फ़्फ़रनगर 2013 मुस्लिम नरसंहार कहीं एक मामले मे भी मुस्लिम समूदाय को इंसाफ नही मिला
घटना के बाद गिरफ़्तारियाँ ज़रूर हुई जो आज भी होती हैं लेकिन कुछ समय बाद कानून के रखवाले एैसे चार्जशीट तैयार करते हैं कि अपराधी जेल से बरी होकर एक और घटना के लिए तैयार हो जाते हैंहाल मे एैसा ही एक मंज़र सामने आया जिसमे मुज़फ़्फ़रनगर मुस्लिम नरसंहार और महीलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार मामले के सभी आरोपी बरी हो गये
इंडियन एक्सप्रेस मे छपी रिपोर्ट के मुताबिक़गैंग रेप और हत्या के मामलों मे गवाह अपने बयान से पलट गये जिसमे पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं जिसमे गैंग रेप के चार और दंगा भड़काने के 26 मामलों मे ठीक से जाँच ना होने के कारण 168 लोग बरी हो गए
इन मामलों मे पुलिस ने जाँच ठीक ढंग से नही कि ज़ाहिर है पुलिस प्रशासन पर कोई दबाव रहा होगामुज़फ़्फ़रनगर दंगों मे कुल 41 केस मे से 40 मामलों मे आरोपी बरी हो गये
केवल एक मामले मे सज़ा हुई जिसमे आरोपी मुस्लमान थे जिन्हें आजीवन कारावास की सज़ा हुईइसके अलावा जिन चालिस मामलों मे आरोपी बहुसंख्यक समूदाय से थे जिनमें 65 लोगों की हत्या हुई थी
और कई महीलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था उन सब मे अदालत ने आरोपियों को बरी कर दियाइन सब मामलों मे पुलिस जाँच मे ख़ामियाँ पाई गई जिसकी वजह साफ़ है कि पुलिस पर आरोपियों को बचाने का दबाव रहा होगा
मुज़फ़्फ़रनगर हमलों का दर्द झेलने वाले परीवार आज ख़ासा दुखी हैं वह सवाल कर रहे हैंकि आख़िर ये 65 हत्याएँ किसने की हमले मे ज़िंदा बचे एक शख़्स ने नाम छिपाने की शर्त पर बताया
कि हमलों के दौरान भीड़ महीलाओ को घरों से खींच कर बाहर लेजाती और वह लोग महीलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार करतेकई महीलाओं के कपड़े फाड़ कर उन्हें नंगा दौड़ाया गया जब महीलाओं ने गन्ने के खेतों मे घुसकर अपना जिस्म छिपाया
देश मे मुस्लिम समूदाय पर हर हमले मे एैसी घटनाए होती हैं और इंसाफ नही मिलता गैंर रेप भी होतें हैं हत्याएँ भीलेकिन ना क़ातिल होता है ना बलात्कारी ये बात राज रह जाती है कि आख़िर वह आतंकी किस दुनिया से आए थे जो तबाही मचा गये ?
(न्यूज़ क्रेडिट एंड सोर्स – nationprimetime.com)