कांग्रेस का थका हुआ भविष्य। गिद्ध की तरह भाजपा के मरने का इंतजार कर रही है ।
कांग्रेस(गान्धी परिवार कहा जाय तो ज्यादा सही होगा) किसी गिद्ध की तरह भाजपा के मरने का इंतजार कर रही है, इंतजार इसलिए क्योंकि कांग्रेस संघर्ष नहीं करना चाहती, संघर्ष इसलिए नहीं कर रहा क्योंकि जमीन पर संघर्ष से नये नेता पैदा होंगे जो गांधी परिवार की सल्तनत को चुनौती दे सकते हैं, इसलिए थके हुए हुए बूढ़े नेताओं और एसी छाप युवा नेताओं (चापलूस) से काम चला रही है।
इसी वजह से जहाँ कर्नाटक में भाजपा 30 साल के युवा तेजस्वी सूर्या को भविष्य के नेता के रूप में ग्रूम कर रही है,वहीं कांग्रेस 80 साल की लाश मल्लिकार्जुन खड़गे से काम चला रही है।
महाराष्ट्र में माली जाति पूरी तरह भाजपा के साथ है, लेकिन राहुल गांधी अपने दोस्त राजीव सातव जिनका परफॉर्मेंस इतना जबरदस्त है कि गुजरात में जीती हुई बाजी को हरवा दिया, अमेठी की जिम्मेदारी मिली वहाँ से राहुल गांधी को वायनाड पहुंचा दिया, दिल्ली में टिकट वितरण की जिम्मेदारी मिली तो 0 पर ला दिया, को राज्यसभा का टिकट दिया, अब कोई ये कहेगा कि माली जाति को जोड़ने के लिए ऐसा किया तो उसके लिए संगठन तो जमीन पर सक्रिय होना चाहिए।
मध्य प्रदेश में बूढ़े दिग्विजय सिंह जिन्होंने कांग्रेस की लुटिया डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी, मोदी को पीएम बनाने में सोनिया और राहुल गांधी के बाद अगर किसी कांग्रेसी ने सबसे ज्यादा मेहनत की तो वो दिग्विजय सिंह ही थे,जिनके सुपुत्र पहले से ही मध्यप्रदेश में कैबिनेट मंत्री थे,जिनका भतीजा कैबिनेट मंत्री था,जिनका दामाद गुजरात विधानसभा में विपक्ष का उपनेता है, उनको वरीयता वाली राज्यसभा की टिकट दे के ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस के खिलाफ कर लिया,जिसने बनी बनायी सरकार भाजपा को दिलवा दी!!
गुजरात जहां पर पटेल आंदोलन के बाद पटेल राजनीतिक रूप से बहुत अग्रेसिव थे,भाजपा के भी खिलाफ हो चले थे,विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट भी मिले थे,इस बनती सम्भावना को छोड़ कर राज्यसभा चुनाव में राज्यसभा की दोनों सीटें दरबार राजपूतों को दे दीं, जो अभी कस के भाजपा को थामें हुए हैं। वहीं भाजपा ने कांग्रेस के खेमे से नरहरि अमीन (पटेल)अपनी तरफ ला कर पटेलों को मैसेज दे दिया है।नरहरि अमीन के भाजपा के पक्ष में जाने का खामियाजा ये है कि अब कांग्रेस केवल एक ही सीट जीत पाए,क्योंकि वाया नरहरि अमीन भाजपा कांग्रेस के विधायकों अपने पक्ष में कर रही है, और कांग्रेस अपने विधायकों को छुपाती फिर रही है।
राजस्थान में जिस सचिन पायलट ने विधानसभा चुनाव से पहले घूम घूम के युवाओं को कांग्रेस के पक्ष में लामबंद किया,उसी को कांग्रेस के टॉप ऑर्डर ने तोता बना के बैठा दिया है।
करेला नीम चढ़े जैसी स्थिति ये है कि कांग्रेस ने सलाहकार के रूप में उर्मिलेश उर्मिल और दिलीप मंडल गैंगे को रखा हुआ है जिनका बहुजन डिस्कोर्स सेल्फ गोल मारने सिद्धहस्त है,जिनके चेलों को प्राथमिक संवाद करना भी नहीं आता है,जो मुंह खोलते ही 1+1 की जगह 1–1 करते हैं।
कुल मिला के बात ये है कि घनघोर गांधीवादी कांग्रेस का गांधी परिवार को महात्मा गांधी की वो बात जो उन्होंने 1947 के सत्ता हस्तांरण के बाद कही थी ‘अब कांग्रेस को खत्म कर देना चाहिए’ अब जा के समझ आयी है।
आम वोटर को ये बात समझ लेनी चाहिए कि वर्तमान के दुशासन से उसको खुद ही लड़ना होगा,वर्तमान का विपक्ष पूरी तरह मोदी एंड कम्पनी के सामने सरेंडर कर चुका है, इस थकी हुई लीडरशिप से अब कोई उम्मीद नहीं है।
– लेखक विकास राठौर, आगरा निवासी राजनैतिक विश्लेषक है ।
(खबरे, सूचनाएं, लेख इस ईमेल पर भेज सकते हो socialdiary121@gmail.com)