इस भारतीय मुसलमान ने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे, जानिये वो कौन है ?

SD24 News Network Network : Box of Knowledge
इंडियन आर्मी के इस मुस्लिम अफसर को नौशेरा का शेर भी कहा जाता है. वतन परस्ती की ऐसी मिसाल पेश की कि बंटवारे के दौरान पाकिस्तानी सेना का चीफ बनने का मोहम्मद अली जिन्ना का प्रस्ताव ठुकरा दिया था.
जंग के मैदान में शहीद होने वाला बड़ी रैंक का यह पहला अफसर था. बहादुरी ऐसी कि पाकिस्तानी सेना खौफ खाती थी. इंडियन आर्मी के इस मुस्लिम अफसर को नौशेरा का शेर भी कहा जाता है. वतन परस्ती की ऐसी मिसाल पेश की कि बंटवारे के दौरान पाकिस्तानी सेना का चीफ बनने का मोहम्मद अली जिन्ना का प्रस्ताव ठुकरा दिया था. यह अफसर था ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान. मोहम्मद उस्मान पहले ऐसे अफसर हैं जिनके डर से दुश्मन (पाकिस्तान) ने उन पर 50 हजार रुपये का इनाम रखा था.
ब्रिगेडियर शहीद मोहम्मद उस्मान का जन्म मऊ में 15 जुलाई 1912 को हुआ था. आज उनका जन्मदिवस है. 1947 के भारत-पाक युद्ध को शहीद उस्मान के लिए याद किया जाता है. उस्मान के परिवार वाले चाहते थे कि वो आईएएस अफसर बनें, लेकिन वो आर्मी अफसर बनना चाहते थे. इसी के चलते सिर्फ 20 साल की उम्र में वो अफसर बन गए थे.
SD24 News Network Network : Box of Knowledge
पाकिस्तान के एक हजार घुसपैठियों को उतारा था मौत के घाट
पाकिस्तानी घुसपैठियों ने दिसंबर 1947 में झनगड़ नाम के इलाके पर कब्जा कर लिया था, लेकिन यह ब्रिगेडियर उस्मान की बहादुरी थी कि मार्च 1948 में पहले नौशेरा और फिर झनगड़ को भारत के कब्जे ले लिया. उस्मान ने नौशेरा में इतनी जबर्दस्त लड़ाई लड़ी थी कि पाकिस्तान के एक हजार घुसपैठिए घायल हुए थे और एक हजार घुसपैठिए मारे गए थे. जबकि भारत की तरफ से 33 सैनिक शहीद और 102 सैनिक घायल हुए थे. लीडरशिप क्वालिटी की वजह से ही ब्रिगेडियर उस्मान को नौशेरा का शेर कहा जाता है.
उस्मान से डरे पाकिस्तान ने रखा था 50 हजार का इनाम
नौशेरा की घटना के बाद पाकिस्तानी सरकार ने ब्रिगेडियर उस्मान की मौत पर 50 हजार रुपये का इनाम रखा था, जो कि उस समय के लिहाज से एक बहुत बड़ी रकम थी. ब्रिगेडियर उस्मान ने कसम खाई थी कि जब तक झनगड़ भारत के कब्जे में नहीं आएगा, तब तक वह जमीन पर चटाई बिछाकर ही सोएंगे. आखिरकार उस्मान ने झनगड़ पर भी कब्जा जमा लिया. लेकिन इसी जंग के बीच तीन जुलाई को झनगड़ में मोर्चे पर ही कहीं से तोप का एक गोला आ गिरा और उस्मान इसकी चपेट में आ गए. इस तरह नौशेरा का शेर जंग के मैदान में शहीद हो गया.
SD24 News Network Network : Box of Knowledge
नौशेरा के शेर को मरणोपरांत मिला था महावीर चक्र
ब्रिगेडियर उस्मान के अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके तमाम मंत्री शामिल हुए थे. यह पहला मौका था जब किसी आर्मी अफसर के अंतिम संस्कार में देश का पीएम शामिल हुआ हो. उस्मान को मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया था. साथ ही दो खिताब ‘हीरो ऑफ नौशेरा’ और ‘नौशेरा का रक्षक’ से भी सम्मानित किया गया था. ब्रिगेडियर उस्मान को राजकीय सम्मान के साथ दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के कब्रस्तिान में दफनाया गया था. (नासिर हुसैन रिपोर्ट via news18)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *