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नांदेड -मुसलमानों का वोट लंगर का खिचड़ा नहीं जो खाए पिए खिसक लिए
नांदेड़, देर आये दुरुस्त आये लेकिन कुछ सवाल जो अब भी सवालिया निशान ही बने हुए है. क्या मुसलमान अपनी बात पर कायम रहेंगे ? क्या मैनेज नहीं होंगे ? चुनाव के वक्त जो सवाल पूछे गए यही सवाल उस वक्त क्यों नहीं पूछे गए ? उलेमाओं ने जो मुद्दा अब उठाया वो मुद्दा उस वक्त क्यों नहीं उठाया जब तीन तलाक का मुद्दा सुर्ख़ियों में था, मोब लिंचिंग के बारे में उस वक्त कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रसीडेंट अशोक चव्हान से सवाल क्यों नहीं किये गए ? चुनाव से पहले ही इस मुद्दे पर चर्चा क्यों करनी पड़ी ? क्या तीन तलाक के मुद्दे पर जब संसद में चर्चा हो रही थी उस वक्त क्यों नहीं उठाये गए सवाल ? क्यों नहीं लिया आड़े हात ?
ऐसे कई सवाल है जो सवालिया निशान बने हुए है
अशोक राव ने उल्माओ की मीटिंग बुलाई उलेमा ने अशोक राव से किए तीखे सवाल कहा ट्रिपल तलाक़ के बिल जब पास होराहा था तब आप कान्हा थे कांग्रेस को वोट क्यों? अशोक चव्हाण हुए शर्मसार, नांदेड में मुसलमानों ने अशोक चव्हाण पर कि सवालों की बौछार! तीन तलाक पर लोकसभा में कांग्रेस व चव्हाण ने असद्दुदिन ओवैसी का साथ क्यों नही दिया? मौलाना असरारुल हक को बोलने क्यों नही दिया गया? अशोक चव्हाण ने समाधानकारक जवाब नही दिया. फिर कांग्रेस को वोट क्यों?
गौरतलब है की जिस वक्त देशभर में मोदी लहर में सारी कांग्रेस बह गयी थी, उस बहाव के विपरीत जाकर नांदेड के मुसलमानों ने अशोक चव्हान को फुल लीड से चुनकर लाने में एडी छोटी की ताकत लगा दी थी, और इसके बदले 5 साल तक साहेब ने सांसद में मुसलमानों के मुद्दे पर मुह तक नहीं खोला. हमें अफ़सोस रहेगा – मतदार
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