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भक्तो तुम उस वक्त कहाँ थे जब इसी सेना की पेंशन छिनी जा रही थी
देश अपने CRPF जवानों की शहादत से सकते में है! देश का कोई कोना ऐसा नहीं होगा जहाँ CRPF जवानों के ताबूत न पहुंचे हों! मंजर देख हर देशवासी की आंख नम है! दिल में बदले की ज्वाला धधक रही है! वे इसका बदला चाहते हैं! लेकिन बदला लेगा कौन?
भारत के प्रधानमंत्री ने तो 15 फरवरी को ही बता दिया था कि सेना को खुली छूट दे दी गयी है! अब सेना अपना समय और स्थान तय करे! धैर्य रखकर सेना के कदम का इंतजार करने की बजाय देश में इन्ही सब के सामानांतर जो कुछ भी चल रहा है वह एक देशभक्त को कत्तई मंजूर नहीं होगा!
मीडिया में अचानक से देश के तीनों सेनाओं के रिटायर्ड अधिकारियों की भरमार हो जाती है! वे सब मिलकर येन केन प्रकारेण सरकार का बचाव करने लग जाते हैं! सवालों के जवाब में “भारत माता की जय” के नारे बुलवाये जाते हैं! टीवी स्टूडियो में अल्पसंख्यक प्रवक्ताओं के साथ गाली गलौज की जाती है! इससे भी काम नहीं बनता तो सारे इंडिया गेट पर लाइव टेलीकास्ट करने लगते हैं!
देश ने वह दौर भी देखा है जब देश में 26/11 जैसा हमला हुआ था! सब जानते हैं कि अजमल कसाब और उसके साथी जिस नाव में बैठकर मुम्बई तट पर पहुंचे थे, वह नाव एक गुजराती मछुवारे की थी! उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे नरेंद्र दामोदर दास मोदी! जो मुम्बई हमले के अगले दिन ओबेरॉय होटल के सामने पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे! लेकिन किसी ने उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका! क्योंकि विरोध-प्रदर्शन लोकतंत्र का अहम हिस्सा है!
यही नहीं देश के तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल का मात्र इसलिए इस्तीफा ले लिया गया क्योंकि उन्होंने दो अलग अलग पत्रकार वार्ताओं में अलग अलग वेराइटी का सूट पहन लिया था! कपडे बदलने पर पाटिल की इतनी आलोचना हुई कि उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया! मौजूदा हालात क्या हैं?
CRPF सीधे गृहमंत्रालय के अधीन आता है! आठ दिन बाद भी गृहमंत्री की तरफ से ऐसी कोई पेशकश नहीं आयी है! इन सब से दूर, देश का प्रधानमंत्री सुदूर अभयारण्य में फोटो खिंचवा रहा है! कोई इस्तीफा नहीं मांग रहा! एक के बाद एक रैलियां कर रहा है. कोई इस्तीफा नहीं मांग रहा! सत्तारूढ़ दल का मुखिया पूरे देश में घूमघूम कर गठबंधन कर रहा है. कोई इस्तीफा नहीं मांग रहा! उलटे सब सरकार के बचाव में लगे हैं!
सनद रहे! देश की सुरक्षा में लगे नवयुवक हमारे आसपास के ही हैं! कहने का तात्पर्य है कि उनमे से अधिकांश मध्यमवर्गीय परिवारों से है! और मध्यमवर्गीय परिवारों के साथ सरकार कैसा बर्ताव करती है, ये किसी से छिपा नहीं है! पेट की भूख मिटाने चले थे! रास्ते में देशभक्ति आ गयी और सेना ज्वाइन कर ली! यही सच है!
तुम आज मोमबत्ती लेकर उनके समर्थन में निकले हो. बहुत अच्छी बात है! उस दिन कहाँ थे जब इसी केंद्र सरकार ने अर्धसैनिक बलों के जवानों का पेंशन बंद कर दिया? उस दिन कहाँ थे जब इसी केंद्र सरकार ने उनसे आधे दर्जन भत्ते वापस ले लिए? उस दिन कहाँ थे जब JCO रैंक से नीचे के जवानों के लिए हवाई यात्रा पर रोक लगाई गयी? उस दिन कहाँ थे जब जंतर मंतर पर पूर्व सैनिकों पर लाठियां चल रही थीं?
यदि सैनिकों के सम्मान में सच में खड़े हो तो सरकार से ये सब पूछो कि उसने अपने सैनिकों के साथ ऐसा सलूक क्यों किया? सांसदों-विधायकों की सैलरी में 29 बार बदलाव करने वाले माननीयों से पूछो कि उन्होंने जवानों की सैलरी अभी तक सात बार ही क्यों Revise की है?
ठीक से देखो और खुद को पहचानो! सरकारें तुम्हे मीडिया के माध्यम से बेवकूफ बना रही हैं! मंदिर, मस्जिद, गाय, बकरी और JNU जैसे गैरजरूरी मुद्दों में उलझाकर तुम्हारे अपने बच्चों की बलि दी जा रही है!
झाबुआ के किसानों द्वारा पाकिस्तान को टमाटर नहीं बेचने का फैसला स्वागत योग्य है! लेकिन इस फैसले से मीडिया इतनी उत्साहित है मानो अब पूरा पाकिस्तान विटामिन B6 की कमी का शिकार हो जायेगा!
जबकि सच्चाई ये है कि झाबुआ सहित MP के कई जिलों के किसान पिछले साल टमाटर और प्याज रोड पर फेंक कर चले गए थे! उनका टमाटर देश में ही खरीदने वाला कोई नहीं था. इतना उगा दिए थे! उन्होंने भी सोचा, टमाटर को सड़ना ही है तो देशभक्ति की सड़न सड़े! लिहाजा उन्होंने इसमें भी पाकिस्तान घुसा दिया! और तुम वाह वाह करने लगे!
वापस मूल प्रश्न पर लौटते हैं! …..तो बदला लेगा कौन?
जवाब है. हमारे आपके घरों के नौनिहाल! सीमा पर जा रहे सैनिकों का काफिले को गौर से देखना…… कोई राजनेता या उस के परिवार का एक भी सदस्य नहीं मिलेगा! क्यों?
क्योंकि, ताबूत पलटकर सवाल नहीं करते! ताबूत में लेटा जवान खुद एक सवाल है. एक ऐसा सवाल……जिसका जवाब देने के लिये शीर्ष नेतृत्व को मूसलाधार बारिश में भी खड़े रहना पड़ता है! – वाया कपिल देव
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