ऑक्सीजन-वेंटिलेटर और बेड की कमी आ अफवाह नहीं, नंगी सच्चाई है – रिहाई मंच

ऑक्सीजन-वेंटिलेटर और बेड की कमी आ अफवाह नहीं, नंगी सच्चाई है - रिहाई मंच

SD24 News Network
– ऑक्सीजन-वेंटिलेटर और बेड की कमी आ अफवाह नहीं, नंगी सच्चाई है – रिहाई मंच

लाशों की कतार का सच छिपाने से नहीं छिपता 

लखनऊ 26 अप्रैल 2021। रिहाई मंच ने कहा कि कोरोना महामारी की भयावहता को कथित अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई के नाम पर छिपाया नहीं जा सकता। मंच ने कहा कि योगी सरकार को राजधानी लखनऊ से लेकर विभिन्न जिलों में आक्सीजन, अस्पताल, वेंटीलेटर, इंजेक्शन, दवाई और श्मशान घाटों पर जलती चिताओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि कोरोना महामारी पर सरकार की निष्क्रियता के चलते स्थिति बिगड़ती गई और अब उसे छिपाने के लिए कथित अफवाह पर कार्रवाई किये जाने की धमकी है। जीवन रक्षक स्वास्थ्य सहूलियतों और ज़रूरतों की कमी को उजागर करने को अफवाह नहीं कहा जा सकता। यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे जैसी स्थिति है। सरकार को सोचना चाहिए कि किन नीतिगत गलतियों के चलते यह स्थिति उत्पन्न हुई और भयावह हुई। आक्सीजन, दवाईयों की किल्लत के एक हफ्ते बाद कालाबाजारी की बात कहने वाली सरकार आखिर इसको लेकर पहले से क्यों नहीं अलर्ट थी। कोरोना महामारी को लेकर क्या आपदा प्रबंधन था, क्या वह निष्क्रिय था और अगर निष्क्रिय था तो इसके जिम्मेदारों की गैर जिम्मेदारी पर सरकार ने क्या कार्रवाई की।

कोरोना कुप्रबंधन की आलोचना को आरएसएस द्वारा देश विरोधी कहना आलोचना से ध्यान हटाने का ही प्रयास है। लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों को लेकर अपनी बात कहना या आलोचना करने को सकारात्मक रुप से देखने की जरुरत है। जैसे कि आक्सीजन और दवाईयों की किल्लत से अपने मरीजों को लेकर भागते-दौड़ते लोगों की आवाज अगर नहीं बनती तो सरकार कैसे उसके लिए उपाय करती। सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसाबले जिसे नकारात्मकता-अविश्वास का माहौल पैदा करने वाला कहते हैं उन्हीं सूचनाओं ने काला बाजारी को जग जाहिर किया जिसे सरकार ने भी मानते हुई कार्रवाई की। सरकार से देखभाल की मांग करना नकारात्मकता नहीं बल्कि लोकतांत्रिक अधिकार है। इसे आरएसएस को समझना चाहिए।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि हर बात को अफवाह कहना सरकारों का हथकंडा बन गया है। जलती या दफन होती हुई लाशें अफवाह नहीं हकीकत है कि सरकार का स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह असफल रहा। योगी आदित्यनाथ ने पिछले एक साल में जितना लव जिहाद, किसान आंदोलनकारियों के दमन आदि में अपनी ऊर्जा को लगाया उतनी कोशिश अगर कोरोना महामारी से निपटने के लिए किया होता तो आज इस बुरे हाल में प्रदेश नहीं होता। सीएए विरोधी आंदोलनकारियों की तुलना कोरोना से करने या फिर लव जिहाद पर राम नाम सत्य कहने वाले योगी आदित्यनाथ की अगंभीरता के चलते आज लोग अपनों से दूर हो रहे हैं। आपदा की इस घड़ी में कोई दुश्मन नहीं है। सभी पीड़ित हैं और सभी नागरिकों के जीने के अधिकार की गांरटी होनी चाहिए।

योगी आदित्यनाथ दावा कर रहे हैं कि अस्पतालों में बेड की संख्या दोगुनी की जाएगी। सवाल है कि इसके लिए अतिरिक्त चिकित्सक कहां से लाएंगे। नए आक्सीजन संयंत्र लगाए जाएंगे पर आक्सीजन की जरुरत अभी है, क्या इन संयत्रों को पहले नहीं लगाया जा सकता था। क्या यह सरकार के एजेण्डे में नहीं था। अगर नहीं था तो इस नीतिगत खामी के जिम्मेदार सरकार के नुमाइंदे हैं।

रिहाई मंच ने कहा कि आपदा की घड़ी में सभी साथ हैं और इससे निपटने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों में लगे हैं। बयानबाजी से बचकर जरुरत इस बात की है कि सरकार आक्सीजन, वेंटीलेटर, इंजेक्शन, दवाईयां और अस्पताल सुनिश्चित कराए।

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