कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद से देश में खुशी का माहौल है। कई लोग तो इतने खुश हैं कि उनकी खुद’खुशी’ देखकर खुद कश्मीरी तक हैरान हैं। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से पूरा फेसबुक कश्मीर में प्लॉट लेने वाले पोस्ट्स से भरा पड़ा है। हर दूसरा पोस्ट कश्मीर में प्लॉट लेने से जुड़ा देखा जा सकता है। हालांकि इसके हटने से सिर्फ जमीन ही नहीं ले सकते बल्कि रह रहे मकान से निकाले भी जा सकते हैं। 4 साल से दिल्ली में रह रहे बिहार के एक शख्स के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है।
मामला कुछ इस तरह है कि अरुण नाम का शख्स पिछले 4 साल से दिल्ली में रह रहा था। उसने पिछले 3 महीने से अपने मकान का किराया नहीं दिया था। किराया ना देने के लिए वह हर बार अपनी आर्थिक स्थिति को आधार बताता और मकान मालिक से बाकी किराएदारों में अपने लिए स्पेशल स्टेटस की मांग करता। मकान मालिक ने उसे कई बार मकान खाली करने के लिए कहा लेकिन हर बार वह पैसे ना होने की दुहाई और गरीबी का विक्टिम कार्ड खेलकर मकान में रहता गया। कश्मीर में 370 खत्म होते ही कश्मीर के साथ-साथ उसका स्पेशल स्टेटस भी खत्म हो गया।
आर्टिकल 370 हटने की खुशी में उसने फेसबुक पर कश्मीर के बारामूला में प्लॉट लेने का पोस्ट किया। इसके अलावा उसने लिखा कि वह अनंतनाग में चौरसिया पान भंडार की दुकान खोलेगा। जैसे ही फ्रेश माइंड से मकान मालिक ने फेसबुक खोला तो उसके होश उड़ गए। उसने अपना सिर पकड़ लिया। मकान मालिक ने सोचा, जो शख्स तीन महीने से किराया नहीं दे रहा था। तीन दिन में एक टाइम सब्जी बनाकर रह रहा, जियो के जमाने में भी मेसेंजर कॉल करता और यहां तक कि किसी का वॉट्सऐप स्टेटस देखने तक के लिए घर से 2 किलोमीटर दूर मेट्रो स्टेशन जाकर फ्री वाईफाई यूज करता हो। वह शख्स कश्मीर में प्लॉट लेने की बात कर रहा है।
पोस्ट पढ़कर मकान मालिक से रहा नहीं गया। वह पोस्ट पर ऐंग्री रिऐक्शन देकर तुरंत शख्स के पास गया और वहां से उसका सामान उठाकर बाहर फेंक दिया। मकान मालिक के इस व्यवहार को भांपने में अरुण ने जरा भी देर नहीं की और उसने तुरंत मेन बैलेंस से नेट चलाकर पोस्ट डिलीट कर दी। हालांकि मकान मालिक पहले ही इसका स्क्रीन शॉट ले चुका था। इस मामले पर अरुण ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मकान मालिक को इसलिए पैसे नहीं दिए क्योंकि पैसों की कमी थी। फिर जब पूछा गया कि बिना पैसों के कश्मीर में प्लॉट कैसे लोगे तो उसने बताया कि वह पहले मुखर्जी नगर में UPSC की तैयारी करता था। उसने इतनी किताबें/न्यूज पेपर खरीद लिए कि बेचने से आराम से प्लॉट जितने पैसे मिल जाएंगे।
साथ ही उसने कहा कि वह किताबों के पैसों को इन्वेस्ट करना चाहता था ना कि वेस्ट, इसलिए उसने मकान मालिक को पैसे नहीं दिए। इतना सुनकर मकान मालिक ने उसके 370 और 35A, दोनों सुजा दिए। इस पूरे मामले के बाद से अरुण के दोस्त सबसे ज्यादा परेशान हैं। इसलिए नहीं कि उनके दोस्त को मकान मालिक ने निकाल दिया है बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने भी अपने-अपने फेसबुक अकाउंट पर अनंतनाग में प्लॉट की रजिस्ट्री के बारे में पोस्ट किया था।
(डिस्क्लेमर: इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है। यह मजाक है और किसी को आहत करना इसका मकसद नहीं है। NBT से साभार)