Connect with us

राष्ट्रिय

मुसलमान ही करते है गुफा की रक्षा, उनके बिना ‘पवित्र यात्रा’ पूरी नहीं होती- रवीश कुमार

Published

on

SD24 News Network Network : Box of Knowledge
जब से आसमान में मंडराने वाले गिद्धों की संख्या कम हुई है, उसकी जगह आदमी मंडराने लगा है। आदमी गिद्ध बन गया है। मीडिया और सोशल मीडिया के आसमान में भी गिद्ध मंडरा रहे हैं। इन्हीं में से कुछ आज शाम चैनलों के स्टुडियों मंडराएंगे। जब वे अमरनाथ यात्रियों की हत्या की बातें कर रहे होंगे तो उनकी ज़बान और लार ग़ौर से देखियेगा।
आतंकवादियों ने किस पर हमला किया और ये गिद्ध किस पर हमला करेंगे, आपको फर्क दिख जायेगा। आप यक़ीन करें न करें, गिद्धों के इस समाज में लाशों का बंटवारा हो गया है। लाशों के बहाने चुप्पियों का बंटवारा हो गया है। काश, कोई लाश, फिर ज़िंदा हो जाए और किसी से पूछ बैठे कि गोली तुम्हें भी लगी है क्या? तुम तो बिन गोली खाए ही मर गए लगते हो। मारा मैं गया हूं और मर तुम रहे हो। तुम तो अभी तो ज़िदा हो। देखना चाहता हूं कि गिद्ध में बदलता जा रहा यह राजनीतिक समाज क्या जवाब देता है।
सोशल मीडिया पर जाकर देखिये। कैसे इस हमले के बहाने दोनों पक्ष अपनी पुरानी भड़ास मिटा रहे हैं। सब अपने-अपने शत्रु को खोज रहे हैं। पहली पंक्ति में निंदा है, उसके आगे परनिंदा ही परनिंदा है। किसी ने तथाकथित बुद्धिजीवियों को पकड़ लिया है तो किसी ने नॉट इन माइ नेम वालों को तो किसी ने भक्तों अब बोलो, कहां हो कुछ तो बोलो करना शुरू कर दिया है। सबको लगता है कि वही सही है। 
-रविश कुमार
 अंजली शर्मा लिखती है, अमरनाथ की गुफा की खोज एक मुस्लिम ने की थी
इसकी खोज एक कश्मीरी मुसलमान ने की थी। इसका नाम था बूटा मलिक। मलिक भेड़ चराने का काम करता था। यही नहीं इसके परिवार के लोग आज भी अमरनाथ गुफा की देखभाल करते हैं।एक दिन वह भेड़ें चराते-चराते बहुत दूर निकल गया। बर्फीले वीरान इलाके में पहुंचकर एक विशाल गुफा को उसने देखा। गड़रिया जैसे ही उस गुफा के अंदर गया तो उसने वहां पर देखा कि बर्फ के आकार में स्थापित हेे। इसके बाद उसने यह बात गांव के मुखिया को बताई और यह मामला वहां के तत्कालीन राजा के दरबार में पहुंचा। इसके बाद समय के साथ इस स्थान के महत्व के बारे में लोगों को मालूम चला और यहां लोगों का आना शुरू हो गया। तभी से यह स्थान एक तीर्थ बन गया।
हा भाई ये वही मुसलमान हे जिन्होंने ने तुम्हे आस्था का इस्थान खोज के दिया और कभी तुम्हारी आस्था कैलास पर्वत को चीन से वापस लेके दिया फिर भी ये ही हिंदूतव के दुश्मन लगते हे तुम्हे हद तो तब होती हे जब ये कह कर तुम उल्टा इन्ही की आस्था पे डाका मारने की कोशिस करते हो , मक्का नहीं मक्केस्वर हे हजरे अस्वद नहीं शिवलिंग हे जिसे मुसलमान चूमते हे
शर्म नहीं आती खुद पे कभी
–अंजली शर्मा
Continue Reading
Advertisement
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *