अनुच्छेद 14 भाग 03 Art 14 part 03
Equality before Law and Equal Protection of Laws
रूल ऑफ लॉ
(ये हमे देखने मिलता है प्रेअम्बल में और अनुच्छेद 14 में ) कोई भी सरकार आरबिटरेरी तरीखे से किसी के भी साथ अन्याय नही कर सकती उस सरकार को भी कानून के हिसाब से चलना पड़ेगा । कोई भी संविधान के ऊपर नहि है ।
कोई भी सरकार सुप्रीम नही होती हमेशा कानून (लॉ) ही सुप्रीम रहेगा
अनुच्छेद 14 भाग 03
Equality before Law and Equal Protection of Laws
कानून की निगाह में सब एक है कोई जात पात मर्द औरत कानून नही देखता कानून के सामने सब समान है और कानून का सामान संरक्षण । कानून के सामने किसी को भी खास छूट नही दी जायेगी के बहोत पैसे वाला है या किसी विशेष जाती समुदाय का है । सही मायनों में ये एक नकारात्मक कॉन्सेप्ट है।
कानून के सामने किसी भी व्यक्ति को अगर वो मुजरिम हो तो उससे जात पात की बिना पर कोई सहूलत नही दी जाएगी।
इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉस :- कानून के सामान संरक्षण, ये पॉजिटिव कॉन्सेप्ट है मतलब सामान लोगो को सामान ट्रीट क्या जाएगा ।
जैसा के कोई पहलवान 80 किलो का है तो 80 किलो वाले पहलवान के साथ लड़ेगा अगर 100 किलो वाला है 100 किलो वाले पहलवान के साथ लड़ेगा । और एक मिसाल से समझते है के अगर कोई लड़का पहेली कक्षा में पढ़ाई करता है तो उसको 5 कक्षा के परीक्षा में नही बिठाया जाएगा ।
अगर पहेली कक्षा वाले विद्यार्थी को 5 कक्षा के पेपर्स दिए जाएं तो उसके साथ न्याय नही होगा ।मतलब ये है.
(like should be teated alike) अगर देखा जाए तो स्त्री और पुरुष दोनों स्टेटस के अनुसार एक समान है मगर स्त्रियों को विशेष छूट भी पराप्त है वो इसलिए के साइकोलोजिकल और बायोलॉजिकल स्त्रियों में और पुरुषों में विभिनता है यानी इडेंटिकाल दोनों विभिन है मगर स्टेटस के अनुसार दोनों भी एक है
एडवोकेट शेख बिलाल
नांदेड़ महाराष्ट्र
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