आज मुल्क के हालात पर दिल से निकली हुई हुमा नकवी की आवाज़
क्या ख़ता है हमारी, जो हर रोज़ हम इम्तेहां देते हैं…
वतनपरस्ती साबित हो, इसलिए अपनी जाँ देते हैँ…
थी मोहब्बत मुल्क से जो, तब “वहाँ” नहीं गए थे हम…
क्या बस इसी बात की, सज़ा हम आज भी सहते हैं…
हमारी भी कुर्बानियां हैं, तारीख के पन्ने पलटो तो तुम…
सुबूत उनको ही मिलेंगे, जो तारीख के पन्ने पलटते हैं…
मत डराओ हमको मौत से, मौत से डरते नहीं हैं हम…
एक बार फिर कुर्बान हो जाएंगे, तुमसे वादा करते हैं…
यह मुल्क सबका है, जानते हैँ यहाँ सब इस बात को…
हमारी वतनपरस्ती देखो, इस ज़मीं पे सजदा करते हैं…
मत छेड़ो हमको, हम बेवजह किसी से नहीं लड़ते…
गर फिर भी ना समझे, तो जवाब हम भी दे सकते हैँ…
तुम गर मोहब्बत करोगे, हम भी मोहब्बत ही करेंगे…
हम वो हैँ जो दोस्तों की ख़ातिर, अपनी जाँ दे देते हैं…
क्यूँ ना सब भूलकर, एक नई सुबह का आगाज करें…
दो क़दम तुम आगे बढ़ो, दो क़दम हम भी बढ़ते हैं…
~हुमा
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