फ़िल्म शिकारा और कश्मीरी पंडित ! 8 सवाल जो झकझोर कर रख देंगे

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देश के करोड़ों किसानों को भूमि से बेदखल कर दिया मगर उनकी हालत पर कोई फ़िल्म नहीं बनी! देश के करोड़ों आदिवासियों को नक्सली घोषित करके जल, जंगल, जमीन से विस्थापित कर दिया गया मगर कोई फ़िल्म नहीं बनी! इनके जख्मों पर मरहम लगाने के लिए कोई आंदोलन नहीं,कोई धरना नहीं,कोई मीडिया में डिबेट में नहीं,कोई फ़िल्म नहीं!
सुना है कश्मीरी पंडितों का विस्थापन इस देश के लिए बहुत बड़ा जख्म है!
मेरे कुछ सवाल है जिनका उत्तर इस देश के सो कॉल्ड राष्ट्रवादियों से चाहता हूँ!


1.पंडितों का धंधा तो भक्तों पर निर्भर करता है और भक्त पंडित नहीं तथाकथित हिन्दू होते है!घाटी के मुसलमान तो इनको दान-चढ़ावा करते नहीं थे तो ये किसके चढ़ावे पर घाटी में आबाद थे?
2.अगर पंडितों के अलावे घाटी में तथाकथित हिन्दू थे तो उनकी क्या हालत है वो देश के सामने क्यों नहीं रखी जा रही है?
3.कई नजदीकी मित्रों से जानकारी जुटाई तो पता चला कि जाट,गुर्जर व सिक्ख भाई आज भी घाटी में आबाद है तो सिर्फ पंडितों को वहां से क्यों भागना पड़ा?
4.जब वतन के खिलाफ पाकिस्तान ने आतंकी भेजकर माहौल खराब किया तो घाटी में लड़कर देशभक्ति दिखाने के बजाय पंडित भागकर दिल्ली में हफ्तावसूली की दुकान खोलकर क्यों बैठ गए?
5.पंडित अगर इस देश के नागरिक व देशभक्त है तो वापिस घरों तक जाने के लिए किससे सुरक्षा मांग रहे है? इनको वापिस बसाने के लिए किसानों के बच्चे क्यों सुरक्षा गार्ड बने?अपनी पंडित बटालियन क्यों नहीं बना लेते?
6.कश्मीरी पंडित दिल्ली एनसीआर से लेकर बॉलीवुड तक बड़ी-बड़ी कोठियां भारत सरकार से लेकर बैठ गए तो इनको वापिस घाटी में भेजने का क्या तुक है?
7.अगर कश्मीरी पंडित वापिस जाएंगे तो उनके लिए भक्तों की व्यवस्था क्या भारत सरकार करेगी?क्योंकि कमाने से लेकर सुरक्षा तक इनको दूसरों से चाहिए!
8.लड़ने के बजाय भागकर दिल्ली आने वाले लोगों को क्या देश के मेहमान समझकर हम भारतीयों द्वारा मेहमान नवाजी करना संवैधानिक कर्तव्य है?
सवाल और भी है मगर फिर कभी!जंतर-मंतर पर कश्मीरी पंडितों के धरने को संबोधित करके निकले सुशील पंडित को एक सवाल पूछा था “घाटी में जाट,गुर्जर,सिक्ख आराम से रह रहे है सिर्फ पंडित ही क्यों भागे उसके बाद मुझे वो बंदा दुबारा नजर नहीं आया!आता होगा मगर शक्ल देखकर घूम जाता है!
-प्रेमाराम सियाग (लेखक के निजी विचार)


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