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SD24 News Network
लखनऊ: रिहाई मंच ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर और चांदबाग में सीएए, एनआरसी और एनपीआर (CAA, NRC and NPR) को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं के खिलाफ चुनाव हार चुके भाजपा नेता कपिल मिश्रा (BJP leader Kapil Mishra) द्वारा पत्थरबाज़ी और हिंसा करने के लिए उकसाने और अलीगढ़ में पुलिस द्वारा महिलाओं पर लाठीचार्ज और आंसू गैस छोड़ने की घटना को राज्य प्रायोजित हिंसा करार दिया।
रिहाई मंच ने दिल्ली में भाजपा प्रायोजित हिंसक हमलों में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए गृहमंत्री अमित शाह को सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया है। (Rhea Manch has directly held Home Minister Amit Shah, questioning the role of the police in the BJP-sponsored violent attacks in Delhi.) रिहाई मंच नेता शाहरुख अहमद ने कहा कि देश की राजधानी में 22 फरवरी से ही हिंसा का माहौल बना दिया गया था और उसी दिन से छुटफुट घटनाएं भी शुरू हो गई थीं।
इस दौरान दिल्ली पुलिस (Delhi Police) खुद कई जगह स्वंय दंगाई की भूमिका में नज़र आई तो कहीं अपनी निष्क्रियता से दंगाइयों का हौसला बढ़ा रही थी। (Police was encouraging the rioters) उन्होंने कहा कि जो दिल्ली पुलिस धारा 144 का हवाला देकर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध लाठियां बरसाती थी।
उसी की मौजूदगी में हिंदुत्ववादी दंगाई भीड़ आसानी से इकट्ठा हुई और अगले तीन दिनों तक घूम-घूम कर मुस्लिम आबादियों और राहगीरों पर लाठी, डंडे, तलवारों, पेट्रोल बमों और अग्नि अस्त्रों से हमले करती रही।
(The Hindutva riotous crowd readily gathered and roamed the Muslim populations and passers-by for the next three days with sticks, sticks, swords, petrol bombs and firearms.)
वही दंगाई भीड़ के हमले में मारे गए रोहित सोलंकी (Rohit Solanki) के पिता ने भी दंगा भड़काने के लिए कपिल मिश्रा (Kapil Mishra) का नाम लिया है। रिहाई मंच (Rihai Manch) नेता रवीश आलम ने कहा कि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने हाईकोर्ट (High court) में सुनवाई के दौरान बताया कि उसने कपिल शर्मा का भड़काऊ वीडियो नहीं देखा।
उसने शायद सोशल मीडिया पर वायरल व्हाटस्एप (WhatsApp) के वह संदेश भी नहीं देखे जिसमें दंगाइयों को चांदबाग भेजने, अग्नि अस्त्र साथ लाने और मुसलमानों को गोली मारने की बात कही जा रही थी। उन्होंने कहा कि कपिल शर्मा (Kapil Sharma) के भड़काऊ बयानों के बाद शुरू हुई एक तरफा हिंसक आग में प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा सरीखे नेता घी डालते रहे।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं का खुलकर दंगाई भीड़ का मनोबल बढ़ाना और दिल्ली पुलिस (Delhi Police) का दंगाई भीड़ के प्रति व्यवहार साबित करता है कि सीएए (CAA) के विरोध और समर्थन के की आड़ में सुनियोजित तरीके से हिंसा भड़काई गई थी और ऐसा गृह मंत्रालय (home Ministry) के मूक समर्थन के बिना संभव नहीं हो सकता।