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नई दिल्ली, योगी सरकार का होर्डिंग वाला विवाद हाईकोर्ट के बाद सुप्रीमकोर्ट चला गया, सुप्रीमकोर्ट में भी राहत नहीं मिली. इस मुद्दे पर दो दिन से सोशल मीडिया पर योगी सरकार की कड़ी अलोहना की जा रही है. लोग सवाल दाग रहे है. जिसमे से एक यह है की, क्या 28 बड़े बैंक डिफाल्टरों के होर्डिंग्स भी लगाने की हिम्मत करेगी योगी सरकार ? बताया जा रहा है की, बैंक का पैसा लेकर देश से भाग जाना भी जनता के साथ धोकेबाजी और देश के साथ गद्दारी ही है. यह उससे कई गुना बड़ा गुनाह है जिन होर्डिंग को लेकर बवाल मचा हुआ है. आईये इस बहाने आपको संक्षिप्त में बताते है. डिफाल्टरों की जनम कुंडली…..
Just to remind ourselves —
यह उन 28 राष्ट्रवादी व्यापारियों की सूची है, जिन्होंने भारतीय बैंकों से पैसा लूटा
1) Vijay Mallya 2) Mehul Choksi 3) Nirav Modi 4) Nishan Modi 5) Pushpesh Baidya 6) Ashish Jobanputra 7) Sunny Kalara 8) Arti Kalara 9) Sunjay Kalara 10) Varsha Kalara 11) Sudhir Kalara 12) Jatin Mehta 13) Umesh Parikh 14) Kamlesh Parikh 15) Nilesh Parikh 16) Vinay Mittal 17) Eklavya Garg 18) Chetan Jayantilal 19) Nitin Jayantilal 20) Dipti Bein Chetan 21) Saviya Saith 22) Rajiv Goyal 23) Alka Goyal 24) Lalit Modi 25) Ritesh Jain 26) Hitesh Nagenderbhai Patel 27) Mayuriben Patel 28) Ashish Suresh Bhai
Total looted amount stands at Rs.10,000,000,000,000/- (only Rupees Ten Trillion)
Something special
none of them
was a Pakistani
was a Muslim
was declared a Terrorist
was an Urban Naxa
क्या है उत्तर प्रदेश होर्डिंग मामला
यूपी सरकार ने पहले हाईकोर्ट में डांट खाई, फिर सुप्रीम कोर्ट गई और वहां भी डांट खाई। ऐसा मुख्यमंत्री और प्रशासन की गैनकानूनी हठधर्मिता के चलते हो रहा है। सरकार ने प्रदर्शन करने वाले कुछ समाजसेवियों और आम लोगों के 100 पोस्टर लगवाए थे। हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और सरकार को कानून के दायरे में रहने की नसीहत दी।
लेकिन हठधर्मी सरकार नहीं मानी। वह हाईकोर्ट को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। वहां भी वही हुआ। पहले सौ प्याज, फिर सौ जूता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार की यह कार्रवाई कानूनन सही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगर दंगा-फसाद या लोक संपत्ति नष्ट करने में किसी खास संगठन के लोग सामने दिखते हैं तो कार्रवाई अलग मुद्दा है, लेकिन किसी आम आदमी की तस्वीर लगाने के पीछे क्या तर्क है?
कोर्ट ने कहा कि जनता और सरकार में यही फर्क है कि जनता कई बार कानून तोड़ते हुए भी कुछ कर बैठती है, लेकिन सरकार पर कानून के मुताबिक ही चलने और काम करने की पाबंदी है। फिलहाल कोई कानून आपको सपोर्ट नहीं कर रहा। अगर कोई कानून है तो बताइए? सरकार ने इसे निजता का अधिकार और राजकीय संपत्ति के नुकसान का मुद्दा बनाया तो सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए इस मामले को बड़ी बेंच को सौंप दिया है। हालांकि, अभी सरकार को राहत नहीं मिली है। अब इस मामले को चीफ जस्टिस देखेंगे।
अब यूूपी सरकार को 16 मार्च तक यह सारे पोस्टर हटाने होंगे?
लेकिन सवाल यह है कि सरकार किस बात का मुकदमा लड़ रही है? क्या सुप्रीम कोर्ट निजता के अधिकार को रद्द कर देगा? क्या सुप्रीम कोर्ट विरोध और प्रदर्शन के अधिकार को रद्द कर देगा? क्या सुप्रीम कोर्ट यह कह देगा कि यूपी के मुख्यमंत्री की मर्जी को ही कानून माना जाएगा?
यूपी सरकार को यह क्यों लगता है कि उनके कहने पर कोर्ट और जनता यह मान लेगी कि एक रिटायर्ड अधिकारी, एक बुजुर्ग, एक समाजसेवी दंगाई है? क्या वे यह साबित कर लेंगे कि सदफ जफर और दीपक कबीर जैसे सुलझे लोगों को वे दंगा करने और सार्वजनिक संपत्ति जलाने वाला साबित कर ले जाएंगे?
सरकार की इस हठधर्मिता से राज्य का प्रशासन दोहरी फजीहत का सामना कर रहा है। पुलिस अधिकारी यह बात पहले से जानते होंगे कि वे जो कर रहे हैं वह गैर कानूनी है, लेकिन उनसे यह करवाया गया। अगर मुख्यमंत्री ने दबाव न डाला होता तो कोई भी अधिकारी ऐसे काम नहीं करेगा। यूपी सरकार को पुलिस पर बदले की भावना से, गैरकानूनी काम करने का दबाव नहीं बनाना चाहिए।
यह समझ में नहीं आता कि बीजेपी के मुख्यमंत्रियों से लेकर केंद्र सरकार के मंत्री कानून की धज्जियां उड़ाने और संविधान को धता बताने के लिए इतने बेकरार क्यों हैं?
Krishna Kant