जालना से औरंगाबाद जा रहे 16 मज़दूर मालगाड़ी से कट कर मर गए। एक घायल है। ये लोग पटरियों पर चलते हुए औरंगाबाद जा रहे थे। 36 किमी पैदल चलने के बाद उन्हें नींद आने लगी। थकान ज़्यादा हो गई। लिहाज़ा पटरी पर ही सो गए। इतनी गहरी नींद में चले गए कि होश भी न रहा और उनके ऊपर से ट्रेन गुजर गई। मज़दूर मध्यप्रदेश के शहडोल और उमरिया के हैं।
मज़दूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। वे पैदल चल रहे हैं। उनके पांवों में छाले पड़ गए हैं। बहुत से मजदूर रेल की पटरियों के किनारे किनारे चल रहे हैं ताकि घर तक पहुंचने का कोई सीधा रास्ता मिल जाए। मज़दूर न तो ट्विटर पर है। न फेसबुक पर और न न्यूज़ चैनलों पर है। वरना वो देखता कि उन्हें लेकर समाज कितना असंवेदनशील हो चुका है। सरकार तो खैर संवेदनशीलता की खान है।
लखनऊ से भी खबर है। जानकीपुरम में रहने वाला एक मज़दूर परिवार साइकिल से निकला था। छत्तीसगढ़ जा रहा था। शहर की सीमा पर किसी ने टक्कर मार दी। माता पिता की मौत हो गई। दो बच्चे हैं। अब उनका कोई नहीं है।
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन जारी है। ऐसे में काम करने वाले मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हुए है। जो अपने घर किसी न किसी तरह से लौटना चाहते है। कई जगह से हजारों की संख्या में मजदूर पैदल ही अपने गांव-घर की ओर निकल रहे है। ऐसे में महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एक दर्द नाक हादसा हो गया। यहां रेल की पटरी पर मजदूरों को एक मालगाड़ी ने रौंद दिया। जिसमें 14 मजदूरों की मौत हो गई है और 5 लोग घायल हैं। घायलों को औरंगाबाद के सिविल अस्पताल में भेज दिया गया है। औरंगाबाद के जालना रेलवे लाइन के पास यह हादसा शुक्रवार सुबह 6.30 बजे के करीब हुआ है। यह सभी प्रवासी मजदूर अपने घर छत्तीसगढ़ पैदल जा रहे थे। घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और रेलवे के अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं।