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2000 किमी का पैदल सफ़र सिर्फ मुसलमानों ने की मदद हिंदुत्व के ठेकेदार गायब
अबकी बार रमज़ान हमेशा के से नहीं थे । अबकी बार रमज़ान की इबादतों को चार चांद लग गये । मुसलमानों ने मानवता की सेवा को अपनी इबादत समझ कर अंजाम दिया । देश के हर हिस्से से मुसलमान भाइयों के दिल खोलकर प्रवासी मज़दूरों की सेवा की ख़बरें आ रही है । जो दिल को सुकून देने वाली है ।
एक वो पढ़े लिखे नकली देश भक्त है जो भारत माता की जय बोलकर दुकान में जय श्री राम का स्टीकर चिपका कर आटा दाल चावल नमक तेल मास्क सेनिटाइजर जैसे ज़रूरी सामान के दाम बढ़ा कर वसूल रहे थे गरीब मज़दूर देशवासियों से । इन देश भक्तो को किसी जगह किसी रास्ते पर गरीब मज़दूर प्रवासियों की कोई मदद करते नही देखा गया । यह तो देश की मुसीबत में भी अपनी किराना दुकान खोलकर बैठे हैं ।
और एक यह जाहिल पंक्चर बनाने वाली गरीब क़ौम, जिसने न अपने पंक्चर के दाम बढ़ाये न अपनी मजदूरी के दाम बढ़ाये । उल्टे अपनी हलाल मेहनत की थोड़ी सी कमाई से ही गरीबो की सेवा दिल खोलकर कर रहे हैं । और राहुल यादव जैसे भाई लोग उनके नेक काम की नेक नियत से दिल खोलकर तारिफ कर रहे हैं ।
वे लिखते है, धन्यवाद मेरे मुस्लिम भाइयों
2 दिन बाद मोबाइल चार्ज हुआ है तो आप सभी से आपबीती बता रहा हूं ! मेने करीब पिछले 6 दिनों मैं 2 हजार किलोमीटर का सफ़र किया है मंगलोर से दिल्ली का ! रास्ते मैं जगह जगह बहुत मुस्लिम भाई मिले खाना पानी देते हुए लेकिन जिन्होंने देश के हिन्दुओं का ठेका ले रखा है वो पूरे रास्ते कहीं नहीं मिले. मुस्लिम भाई अगर रास्ते मैं ना मिलते तो ना मैं और ना मेरे साथी दिल्ली नहीं पहुंच पाते
किस मुह से मुस्लिमों को बुरा कहूँ मैं ?
ऐसे ही पैदल चलकर आये वीरेंद्र यादव लिखते है, मैं 1700 किलोमिअर पैदल चलकर आया, मुझे सिर्फ मुस्लिमों ने खाना पानी पूछा इनकी सोशल मीडिया पोस्ट पर बहन पूजा सिघ लिखती है, मेरे पडोसी है उनका परिवार बहार से पैदल आया है, वह भी यही कह रहे थे, सबसे ज्यादा मदद मुस्लिमों ने की थी.
ऐसे हजारों उदाहरण भरे पड़े है सोशल मीडिया पर. यही है सच्ची देश भक्ति, सच्ची मानवता, मुझे फक्र है अपनी पंक्चर क़ौम पर