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पीएम केयर्स के एक और वेंटिलेटर घोटाले की पूरी क्रोनालॉजी जानिए
प्रधानमंत्री मोदी के पीएम केयर्स ट्रस्ट से कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन देने के लिए 10 हजार वेन्टीलेटर्स का आर्डर दिया गया। दिल्ली की Agva कंपनी को सस्ते मेक इन इंडिया 5000 वेंटीलेटर भेजने का ठेका मिला।
मुम्बई के सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल और जेजे हॉस्पिटल को 42 और 39 वेन्टीलेटर्स मिले। जब मरीजों पर इसका इस्तेमाल किया गया तो उनका दम घुटने लगा, क्योंकि जितनी ऑक्सीजन इन वेन्टीलेटर्स के जरिये फेफड़े में जानी थी, वह तो जा ही नहीं रही थी। दोनों अस्पतालों से वेन्टीलेटर्स को रिजेक्ट कर दिया।
अब AGVA कंपनी के दो पूर्व कर्मचारियों ने हफिंगटन पोस्ट को बताया है कि कंपनी ने वेन्टीलेटर्स के सॉफ्टवेयर से छेड़छाड़ की। मशीन ऑक्सीजन का स्तर 100% दिखाती थी, जबकि वास्तव में उसका स्तर 86% होता है।
वातावरण की हवा में 21% ऑक्सीजन होता है। लेकिन कृत्रिम श्वास के समय 100% शुद्ध ऑक्सीजन होना जरूरी है। पिछले महीने जब हफ़ पोस्ट की ही रिपोर्ट पर AGVA के वेन्टीलेटर्स का डॉक्टरों ने ऑडिट किया तो पाया कि ये तो ICU में रखने लायक ही नहीं हैं।
अब तो मुम्बई के अलावा गुजरात, यूपी, हरियाणा और दिल्ली के डॉक्टरों ने भी AGVA के वेन्टीलेटर्स को सब्स्टीट्यूट (यानी जहां कम ऑक्सीजन की ज़रूरत हो) के काबिल पाया है। इससे पहले गुजरात में पीएम केयर्स की रकम सीएम रुपाणी के मित्रों को वेन्टीलेटर्स भेजने के लिए बांटी गई।
AGVA healthcare नोएडा स्थित एक स्टार्टअप कंपनी है। इसने कोरोना काल में ही वेन्टीलेटर्स बनाना शुरू किया है। सवाल यह है कि पीएम केयर्स से किस आधार पर फ़र्ज़ी कंपनियों को ठेके दिए जा रहे हैं?
कहीं इन ठेकों का कुछ हिस्सा कमीशन के रूप में कुछ की जेब में तो नहीं आ रहा? असल में मोदी सरकार सारे सवालों से बच रही है। एक ही जवाब है- हम कागज़ नहीं दिखाएंगे।
– लेखक Soumitra Roy स्वतंत्र पत्रकार है