आज़मगढ़ : दलितों पर जानलेवा हमला रिहाई मंच ने की पीड़ितों से मुलाक़ात, हुआ बड़ा खुलासा

SD24 News Network Network : Box of Knowledge
SD24 News Network
आज़मगढ़ : दलितों पर जानलेवा हमला रिहाई मंच ने की पीड़ितों से मुलाक़ात, हुआ बड़ा खुलासा
रिहाई मंच को पीड़ितों ने बताया कि 9 जुलाई 2020 की शाम 7 बजे महिलाएं शौच के लिए बाहर गईं थीं, तभी बगल की बस्ती के अभिषेक यादव, पिंटू यादव महिलाओं को गाली देने लगे और बबूल की झाड़ियों से मारने लगे. महिलाओं द्वारा विरोध करने पर उन लोगों ने अपने गांव के और कुछ लोगों को बुला लिया जो लाठी-डंडा लेकर आए और महिलाओं को पीटने लगे. दलित बस्ती के महेंद्र और उनके घर वाले बीच-बचाव करने गए तो उन्हें भी हमलावर पीटने लगे. जिसमें महेंद्र की पैंसठ वर्षीय मां, पिता और उनके बड़े भाई-भाभी को गंभीर चोटें आईं. सुशीला, प्रभावती देवी, महेंद्र और सुरेंद्र को सिर में गंभीर चोटें आईं हैं. महिलाओं-पुरुषों को शरीर पर चोटें आने की वजह से घटना के इतने दिनों बाद भी वो चलने-फिरने में असमर्थ हैं.




रिहाई मंच ने आज़मगढ़ के सरायमीर थाना क्षेत्र के हाजीपुर भरौली गांव में दलितों पर हुए हमले के बाद पीड़ितों से मुलाक़ात की. प्रतिनिमण्डल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, बांकेलाल, एडवोकेट कुमार राहुल, विनोद और अवधेश यादव शामिल रहे. मंच जल्द पूरी घटना पर विस्तृत रिपोर्ट लाएगा.




रिहाई मंच को पीड़ितों ने बताया कि 9 जुलाई 2020 की शाम 7 बजे महिलाएं शौच के लिए बाहर गईं थीं, तभी बगल की बस्ती के अभिषेक यादव, पिंटू यादव महिलाओं को गाली देने लगे और बबूल की झाड़ियों से मारने लगे. महिलाओं द्वारा विरोध करने पर उन लोगों ने अपने गांव के और कुछ लोगों को बुला लिया जो लाठी-डंडा लेकर आए और महिलाओं को पीटने लगे. दलित बस्ती के महेंद्र और उनके घर वाले बीच-बचाव करने गए तो उन्हें भी हमलावर पीटने लगे. जिसमें महेंद्र की पैंसठ वर्षीय मां, पिता और उनके बड़े भाई-भाभी को गंभीर चोटें आईं. सुशीला, प्रभावती देवी, महेंद्र और सुरेंद्र को सिर में गंभीर चोटें आईं हैं. महिलाओं-पुरुषों को शरीर पर चोटें आने की वजह से घटना के इतने दिनों बाद भी वो चलने-फिरने में असमर्थ हैं.




महेंद्र ने बताया कि मां प्रभावती की रीढ़ की हड्डी फ्रैक्चर होने के कारण उनका उठाना मुश्किल हो गया है. बमुश्किल जब उनसे रिहाई मंच प्रतिनिमण्डल ने मुलाकात की तो वो रोने लगीं. महेंद्र की भाभी सुशीला उस दिन की मारपीट की कहानी बताते हुए थोड़ी देर बाद अचेत हो गईं. महेंद्र के पिता लालचंद हाथ की चोट दिखाते हुए बताते हैं कि पहले भी एक इस तरह के हमलों का शिकार उनको बनाया गया. जब वे अपनी पत्नी को उठाने गए तो उनको भी मारा गया.




गांव की महिलाओं ने बताया कि बारिश की वजह से जो नए शौचालय बने हैं वो भर जाते हैं जिस वजह से बाहर शौच करने जाना पड़ता है. ऐसे में उस दिन भी 9 तारीख की शाम वे शौच करने गईं थी। जहां वे शौच करने जाती हैं वहां पर कुछ लोगों ने खंभे को लाकर रख दिया था और उस पर बैठे हुए थे. महिलाओं के जाते ही उन लड़कों ने गाली-गलौज और फिर मारपीट शुरू कर दी.




गांव के लोगों ने बताया कि इससे पहले भी हुई इस तरह की घटना के बाद आरोपी पक्ष के लोग आए और पंचायत कर सुलहनामा करवाया था. एक बार एक महिला को थप्पड़ मारा और फिर वे एकजुट होकर आए और मारने की धमकी दी. मेडिकल रिपोर्ट में पीड़ित पक्ष को गंभीर चोटें और जानलेवा हमला होने के बावजूद पुलिस ने धाराओं को कमजोर करते हुए 323 धारा में मुकदमा दर्ज कर अपराधियों के अपराध को कम करने की कोशिश की है. 307/308 जैसी गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा पंजीकृत न करके अपराधियों के मनोबल को बढ़ाने की कोशिश की गई है.




रिहाई मंच ने दिनेश भारती, रामसूरत, दया शंकर, फूल कुमार, नरेंद्र कुमार, महेंद्र कुमार, अशोक कुमार, जितेंद्र कुमार, शैलेन्द्र कुमार, विश्राम और अन्य ग्रामीणों से भी मुलाकात की.


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *