SD24 News Network : पैग़म्बरे इस्लाम पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद फैली हिंसा में दो मुस्लिम युवकों की मौत, 60 पिलिसकर्मी घायल
मामूली इंसान द्वारा फेसबुक पर कमेंट करने से पैगम्बरे इस्लाम की शान कम नहीं होगी, और ना ही इस्लाम इतना कमजोर है की वह खतरे में पद जाए. सच तो यह है की मुहम्मद पैगम्बर का अपमान हुआ कहकर हिंसा फैलाना ही पैगम्बरे इस्लाम का सबसे बड़ा अपमान है. क्यूंकि जिन पैगम्बर साहब के नाम से दंगा फैलाया गया उन्ही ने खून खराबे को सख्त मना फरमाया है. और कुरआन में अल्लाह का हुक्म है की किसी भी सूरत में जमीन में बिगाड़ मत पैदा करो. और बहुत साड़ी बातें है डिटेल में अगले आर्टिकल में खुलासा किया जाएगा. चलिए देखते है माजरा क्या है.
बैंगलोर में कल क्षेत्रिय कांग्रेसी MLA के परिवार के एक व्यक्ति द्वारा पैगंबर मोहम्मद साहब पर अभद्र टिप्पणी करने के कारण उसी क्षेत्र के मुस्लिम युवकों द्वारा तोड़फोड़ और आगज़नी का मामला सामने आया है, खबर है कि पुलिस फायरिंग में 2 या 3 मुस्लिम युवकों की मौत भी हो गई है, पुलिस की सख्त कारवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं, देश के अल्पसंख्यक समुदाय के लिए पुलिस का रवय्या हमेशा सवालों को खड़ा करता दिखाई देता है ।
मुसलमान कभी किसी दूसरे धर्म की आस्था को ठेस नही पौहंचाता, किसी दूसरे धर्म के आदर्शवादी व पूजनीय पुरुषों को बुरा नही कहता, दूसरे धर्म के धार्मिक स्थलों को नुकसान नहीं पहंचाता कियूंकि उन्हें परमेश्वर के अंतिम संदेष्टा ( अल्लाह के आखरी पैगंबर, नबी ) मोहम्मद साहब स. अ. व. ने उन्हें ऐसा करने से मना किया है । पैगंबर मोहम्मद साहब स.अ. व. ने कहा था कि ” कभी किसी दूसरे धर्म और उनकी धार्मिक आस्थाओं को ठेस मत पौहंचाना, उनके धार्मिक हस्तियों, आदर्शवादी, पूजनीय पुरुषों को बुरा मत कहना, कभी किसी दूसरे धर्म के धार्मिक स्थलों को नुकसान मत पौहंचाना ” …..
सभी मुसलमान इसका पालन करते हैं, कभी किसी की धार्मिक आस्थाओं, आराध्य, आदर्शवादी, पूजनीय हस्तियों पर कोई ऐसी टिप्पणी नही करते जिससे उसे ठेस पहुंचती हो, इसलिए आप कभी नही सुनेंगे की किसी मुसलमान ने किसी हिन्दू या दूसरे धर्म पर अभद्र टिप्पणी की हो, बुरा कहा हो या आस्थाओं को ठेस पहुंचाई हो, लेकिन आप तक़रीबन हर महीने सुनेंगे की पैगंबर मोहम्मद साहब पर अभद्र टिप्पणी की गई !!
हां कुछ मामले होंगे जो आपकी नज़रों में होंगे या यह मान लेते हैं कि इक्का दुक्का मामले मुसलमानों द्वारा दूसरे धर्मों की भावनाओं को ठेस पौहंचाने की भी आती रहती हैं, लेकिन ये बोहत कम होता है और जो भी करता है उसे क़ानून के अनुसार सज़ा देने के पक्ष में आपको हर मुसलमान खड़ा दिखाई देगा दूसरों की तरह सोशल मीडिया पर उसका पक्ष नही लेगा उसका समर्थन नही करेगा उसके समर्थन में रैलियां नही निकालेगा ।
रही बात गुस्से और भावना में कानून तोड़ने और कानून को हाथ मे लेने, सरकारी व निजी संपत्तियों को नुकसान पौहंचाने , आग लगाने, दंगा फसाद करने की तो किसी के भी धर्म पर या किसी के भी महापुरुषों पर, किसी भी आदरणीय, पूजनीय हस्तियों पर व्यक्तियों पर अभद्र टिप्पणी की जाए तो उस धर्म विशेष के लोगों, उन व्यक्तियों से लगाओ रखने वालों का भड़कना संभावित है, ज़रा सोचिए अगर कोई छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, बाबा साहब अम्बेडकर इत्त्यादि व्यक्तियों पर अभद्र टिप्पणी करे तो क्या होगा ?? श्री राम, कृष्ण, गौतम बुद्ध, ईसा मसीह इत्यादि धार्मिक हस्तियों, अवतारों पर अभद्र टिप्पणी की जाए तो क्या होगा ????? कोई भी बर्दाश्त नही करेगा !! हाँ हमारे अपने सेक्युलर , लोकतांत्रिक देश मे क़ानून को तोड़ने, हाथ मे लेने वालों पर संविधान के अनुसार करवाई ज़रूर होनी चाहिए लेकिन ये एकतरफा ना हो, सबसे पहले और सबसे कड़ी सज़ा उस व्यक्ति को हो जिस ने धार्मिक भावनाओं को भड़का कर धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की हो !!
हालांकि हम हमेशा देखते हैं कि संविधान के दायरे में रहकर सड़कों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले मुसलमानों के साथ क्या व्यवहार होता है जैसा कि CAA पर आप ने देखा, और अगर मुसलमान दूसरों की तरह भड़क कर गुस्से में क़ानून तोड़े या क़ानून हाथ मे ले तो हमेशा वही होता है जो बैंगलोर में हुआ, गोलियां चलती हैं और मुसलमानों की मौतें होती हैं, वरना हम जाट आंदोलन, पद्मावत, शम्भू रैगर जैसे अनेकों मामलों में देख चुके हैं कि लोगों ने किस तरह क़ानून की धज्जियां उड़ाई और संविधान का मज़ाक बनाया ।
बैंगलोर हिंसा पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर अपतिजनक फेसबुक पोस्ट करने पर मुसलमानों ने बैंगलोर मे विधायक का घर व थाना फूंका, हिंसा में 60 पुलिसकर्मी भी घायल । गलती यहाँ मुसलमानो के साथ पुलिस की भी है । पुलिस को गोली नही चलानी थी । पुलिस पहले कार्यवाई कर देती तो साम्प्रदायिक नेताओ को जनता को भड़काने का मौका ना मिलता । अधिकतर ऐसे मामलों मे पुलिस मुस्लिम पक्ष की नही सुनती है । और मुसलमानो को भी समझने की ज़रूरत है कि फेसबुक पोस्ट से इस्लाम खतरे में नही आ जायेगा । पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की जिंदगी से सीखिए, उनपर लोग #कीचड़_उछालते थे , उनके साथ क्या नही करते थे, लेकिन पलटकर उन्होने वैसा नही किया बल्कि बदले में ऐसा व्यवहार किया कि लोग उनके बताये रास्ते पर चलने लगे । किसी चीज़ का हल हिंसा नही है । किसी के कहने पर कभी किसी हिंसा में शामिल मत होयीये । इस्लाम को पास से पढिये । इस्लाम में हिंसा की कोई जगह नही । इस्लाम बेहतर अख़लाक़ की वजह से फैला है ।